पहले ट्रेनिंग दी, फिर नक्सलियों ने ग्रामीणों से लुटवा दिया बाजार, फिल्मी सीन की तरह था बालाघाट का वो किस्सा

पहले ट्रेनिंग दी, फिर नक्सलियों ने ग्रामीणों से लुटवा दिया बाजार, फिल्मी सीन की तरह था बालाघाट का वो किस्सा


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Balaghat Naxalites Story: बात 1990 की है. बालाघाट के ग्रामीण अंचल में नक्सली पांव पसार रहे थे. उन्हें लोकल सपोर्ट की जरूरत थी तो वे गांव वालों की मदद करते थे. ऐसी एक घटना ने नक्सलियों और ग्रमाीणों को करीब ला दिया. जानें…

Balaghat News: बालाघाट में साल 1990 से माओवाद का असर था. लेकिन, बीते एक साल में सुरक्षाबलों ने कई एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए, जिससे अब नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं. कई नक्सलियों के एनकाउंटर हुए, तो कुछ ने सरेंडर किया है. केंद्र सरकार ने भी माओवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 का लक्ष्य तय किया है. ऐसे में एक्शन बढ़ गया है. भले ही अब नक्सलवाद खत्म हो रहा हो, लेकिन कुछ किस्से ऐसे हैं, जो हमेशा याद रहेंगे. एक ऐसा ही अनोखा किस्सा बालाघाट के ग्रामीण अंचल से जुड़ा है, जो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं. जानिए…

जब नक्सलियों ने लूटा था बाजार…
दरअसल, एक समय था जब ग्रामीण अंचल के लोग सिस्टम से ज्यादा ‘जनताना सरकार’ पर भरोसा करने लगे थे. तब वह अपनी समस्या लेकर पुलिस के पास नहीं, नक्सलियों के पास जाते थे. वहीं, नक्सली भी ग्रामीणों की मदद करते थे. हालांकि, मदद करने का तरीका गैर-संवैधानिक हुआ करता था. किस्सा 1990 का है, जब सेठजी बाजारों में आदिवासियों के साथ छल कर उन्हें ठीक से सामान तक नहीं देते थे. तब नक्सलियों ने ग्रामीणों के साथ बाजार ही लूट लिया था.

सेठ जी करते थे बदमाशी
स्थानीय लोगों ने बताया, 1990 का समय था, बालाघाट के आदिवासी अंचलों में शिक्षा और जागरूकता की कमी थी. इसी का फायदा शहर से आए सेठ लोग उठाते थे, जो आदिवासी अंचलों के बाजार में अनाज की दुकान लगाते थे. ऐसे में जब भी कोई ग्रामीण सामान खरीदता था, तब वह चालाकी कर आधा किलो अनाज (चावल या गेहूं) को एक किलो बताकर चिपका देते थे. वहीं, विरोध करने पर वे भड़क जाते थे. ऐसे में रसूखदार सेठ के आगे बोलने की हिम्मत न करता. अफसरों से लेकर नेता भी उन्हीं सेठ-साहूकारों की ही सुनते थे. ऐसे में ग्रामीणों के पास कोई दूसरा रास्ता न बचता.

ग्रामीणों ने मांगी थी नक्सलियों से मदद
उसी दौर में नक्सली बालाघाट में अपने पैर पसारना चाहते थे, लेकिन उन्हें लोकल सपोर्ट की जरूरत थी. ऐसे में वह ग्रामीणों की हर मुमकिन मदद करते थे. अब अनाज चोरी की शिकायत भी ग्रामीणों ने नक्सलियों से की थी. ऐसे में नक्सलियों ने ग्रामीणों से फ्री में अनाज दिलाने की बात की. इसके बाद एक हफ्ते तक ग्रामीणों को बाजार लूटने की ट्रेनिंग दी. सोनपुरी नाम के गांव में बाोझे और बोरी ढोने के बांस के सुरेंडा से गांव वालों को ट्रेनिंग दी. हफ्ते भर बाद नक्सलियों की मदद से गांववालों ने पूरा बाजार लूट लिया. वहीं, सेठ-साहूकार के आगे उनका ही माल लूट लिया गया. वह देखते ही रह गए. हालांकि, इस मामले में 11 लोग आरोपी बनाए गए. लेकिन बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई.

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Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

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पहले ट्रेनिंग दी, फिर नक्सलियों ने लुटवा दिया बाजार, फिल्म से कम नहीं ये घटना



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