प्रदेश की आदर्श गौशाला लाल टिपारा में शुक्रवार को 15 गौवंश मर गए और स्टाफ मौतों को छुपाने की कोशिश में लगा रहा। शव एक-दूसरे पर फेंकी हुई थीं, जैसे जानवर नहीं, कूड़ा हों। निगम हर साल गौशाला पर 25 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा करता है, लेकिन जमीन पर नती
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- देखभाल के नाम पर हर साल खर्च होते हैं 25 करोड़
बीमार गाय को देखने गया, वहां मृत गायों का ढेर
क्षेत्र में एक गाय बीमार अवस्था में घूम रही थी। उसके पैर में सूजन और कीड़े थे। मैंने 15 दिन तक खुद के खर्च पर इलाज कराया। वह काफी ठीक हुई। फिर उसे लाल टिपारा गौशाला छोड़ आया। शुक्रवार को गौशाला पहुंचा तो गाय मर चुकी थी और 14-15 गाय टिनशेड में एक के ऊपर एक मृत पड़ी थीं। गायें कैसे मरी, स्टाफ बताने को तैयार नहीं था। पशु चिकित्सक डॉ. गिरधारी ने अजीब तर्क दिया कि उपचार किया था, पर गायें खुली होंगी तो टकराकर मर गई होंगी। कलेक्टर से भी शिकायत की है। -डॉ. आशुतोष आर्या, मेडिकल आफिसर, संजीवनी क्लीनिक
किसी गाय ने मार दिया
डा. आर्या जिस गाय को लाए थे, उसे खुरपका बीमारी थी। इलाज किया था। यहां गौवंश खुले में रहता है। किसी गाय ने उसे मार दिया होगा।
इंटरनल जांच कराएंगे
गौशाला में गायों के मरने की जानकारी मिली है। मामले की इंटरनल जांच कराएंगे। –संघ प्रिय, आयुक्त ननि