ग्वालियर के फूलबाग मैदान में पाल-पघेल समाज का 122वां ऐतिहासिक लोकगीत ‘कन्हैया’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। आयोजन में पाल समाज के बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पाल समाज का यह ऐतिहासिक आयोजन पिछले कई वर्षों से ग्वालियर में भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है। गांव-गांव और हर क्षेत्र से, जिले और संभाग के कोने-कोने से लोग यहां पहुंचते हैं। लोकगीतों की कल्पना के साथ इतना सुंदर और भावनात्मक प्रस्तुतीकरण देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारा पुराना इतिहास हमारी रग-रग में बसा है और यही हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इस कार्यक्रम में शामिल होकर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता हो रही है, क्योंकि पाल समाज और सिंधिया परिवार के बीच हमेशा से दिल और खून का रिश्ता रहा है। इस रिश्ते को सिंधिया परिवार का हर पूर्वज और हर वंशज संकल्पबद्ध होकर आगे बढ़ाता रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने अभ्युदय समिट में आए गृहमंत्री अमित शाह का भी आभार व्यक्त किया।
ऐतिहासिक लोकगीत ‘कन्हैया’ कार्यक्रम में पहुंचे लोग।
कार्यक्रम के आयोजक राजू पाल सागर ने बताया कि पाल समाज का यह ऐतिहासिक लोकगीत ‘कन्हैया’ आयोजन अपने 122वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के सभी संभागों के लगभग 400 गांवों से लोग शामिल होते हैं। हर वर्ष 50 से 60 टोलियां यहां पहुंचकर अपने-अपने लोकगीतों की प्रस्तुति देती हैं। यह आयोजन हर साल 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है, जो समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है। यही कारण है कि लोग बिना आमंत्रण के भी इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच जाते हैं, जो समाज की एकता को दर्शाता है।
कार्यक्रम में मौजूद चौधरी राकेश पाल ने बताया कि यह पाल-पघेल समाज का एक पारंपरिक और ऐतिहासिक आयोजन है, जो सन 1903 से लगातार चला आ रहा है। इसे समाज के पूर्वजों ने प्रारंभ किया था। हर वर्ष इस कार्यक्रम में बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के 25 से 30 हजार लोग शामिल होते हैं। समाज के लोग न केवल बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं, बल्कि लोकगीत ‘कन्हैया’ की मनमोहक प्रस्तुतियां भी देते हैं, जो अपने आप में अनूठी और आकर्षक होती हैं।
कार्यक्रम में 50 से 60 टोलियों ने अपने गीतों की प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों की खास बात यह रही कि सभी लोकगीत बिना किसी संगीत और वाद्य यंत्रों के प्रस्तुत किए गए, जो इस आयोजन की पारंपरिक पहचान को दर्शाता है।