नई दिल्ली: क्रिकेट की दुनिया में किसी गेंदबाज की काबिलियत का पैमाना उसके हैट्रिक लेने को माना जाता है. यदि कोई गेंदबाज लगातार चार गेंद में चार विकेट चटका देता है तो इसे अभूतपूर्व प्रदर्शन की श्रेणी में रखते हैं. यही कारण है कि 150 साल से ज्यादा के प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी ऐसा करने वाले गेंदबाजों के नाम उंगलियों पर गिनने लायक हैं.
अगर कोई गेंदबाज लगातार चार गेंद में सचिन तेंदुलकर , राहुल द्रविड़, संजय मांजरेकर और विक्रम राठौड़ जैसे बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दे तो उसे तत्काल दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों में शुमार कर लिया जाता और देश के लिए खेलने का मौका मिल जाता. लेकिन ऐसा तभी होता, यदि वो गेंदबाज भारत में खेल रहा होता. जानते हैं इंग्लैंड सरीखे देश में, जहां एक प्रदर्शन के बजाय आपके ओवरऑल खेल को चयन का पैमाना माना जाता है, वहां इतनी बेहतरीन गेंदबाजी के बजाय वो गेंदबाज कभी इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल पाया.
4 wickets in 4 balls#OnThisDay in 1996, Kevan James took 4 Wickets in 4 Balls against India at Southampton for Hampshire.
He also scored a hundred in the match.
He is the only player to take 4 wickets in 4 balls and to score a hundred in the same First Class Match. pic.twitter.com/hvbltr5bvP
— Cricketopia (@CricketopiaCom) July 1, 2020
#OnThisDay 1996 – @hantscricket‘s Kevan James takes 4 wickets in 4 balls and scores a century against India pic.twitter.com/CLw7TOfZWo
— ICC (@ICC) July 1, 2016
टीम इंडिया के 1996 दौरे की है घटना
भारतीय क्रिकेट टीम 1996 की गर्मियों में इंग्लैंड के दौरे पर मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में रवाना हुई. ये वही दौरा है, जिसमें टीम इंडिया के लिए सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की जोड़ी ने अपना टेस्ट डेब्यू किया था. इस दौरे में 6 जून से 3 टेस्ट की सीरीज शुरू हुई. भारतीय क्रिकेट टीम पहले 2 टेस्ट में से एक मुकाबला हारकर सीरीज में 1-0 से पीछे चल रही थी. दूसरे टेस्ट मैच के दौरान द्रविड़ और गांगुली का ड्रीम डेब्यू हो चुका था, जिसकी बदौलत मैच ड्रॉ रहा था. अब सारी निगाहें तीसरे टेस्ट पर थीं, जिसमें जीत के साथ टीम इंडिया सीरीज बराबर कर सकती थी. तीसरा टेस्ट मैच 4 से 9 जुलाई तक नाटिंघम में खेला जाना था. इससे पहले टीम इंडिया का हैंपशायर के साथ साउथैंपटन के मैदान पर 29 जून से एक तीन दिवसीय अभ्यास मैच था.
हैंपशायर के खिलाफ मैच में हुआ वो प्रदर्शन
हैंपशायर के खिलाफ मैच में टीम इंडिया कप्तान अजहर के बिना खेलने उतरी. कप्तानी का मौका मिला सचिन तेंदुलकर को. हैंपशायर ने टॉस जीतकर टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी दी. पूरे टूर में फ्लॉप रही अजय जडेजा और विक्रम राठौड़ की ओपनिंग बल्लेबाजी ने 192 रन जोड़कर हैंपशायर के गेंदबाजों को रुला दिया. लंच के बाद हैंपशायर के कप्तान स्टीफंसन ने गेंदबाजी की जिम्मेदारी केवान जेम्स (Kevan James) को सौंपी. खब्बू तेज गेंदबाज जेम्स की उम्र उस समय 35 साल की थी और उन्होंने कभी अपने करियर में ऐसी गेंदबाजी नहीं की थी कि उन्हें इंग्लैंड के लिए खेलने लायक समझा जाता यानी कुल मिलाकर ये मुख्य गेंदबाजों को आराम देने वाला बदलाव ही था. लेकिन जेम्स कुछ और ही मूड में थे.
जेम्स ने कर दिया अचानक करिश्मा
जेम्स ने गेंदबाजी में आते ही अजय जडेजा को स्लिप में कैच आउट कराकर टीम को ब्रेक-थ्रू दिला दिया. हालांकि इसमें जेम्स की अच्छी गेंदबाजी से ज्यादा जडेजा का गलत शॉट जिम्मेदार था. इसके बाद आए सौरव गांगुली और स्कोर 207 रन पर पहुंच गया. यहां अचानक जेम्स का करिश्माई स्पैल चालू हुआ. जेम्स ने पहले 95 रन पर खेल रहे राठौड़ के डिफेंस में सेंध लगाई और उनकी गिल्लियां उड़ा दीं.
इसके बाद अगली ही गेंद पर उन्होंने तब तहलका मचा दिया, जब मास्टर ब्लास्टर सचिन को भी अपनी स्विंग गेंद पर शॉर्ट लैग पर कैच करा दिया. शॉर्ट लेग पर हैंपशायर के कप्तान ने इसी गेंद से पहले अपनी टीम के सबसे युवा खिलाड़ी जैसन लेनी को तैनात किया था. जेम्स की ये सफलता इतनी अप्रत्याशित थी कि खुद उनकी टीम के खिलाड़ी भी बधाई देने के बजाय ऐसे हंस रहे थे कि मानो उन्हें भी यकीन नहीं हो रहा था.
पूरे स्टेडियम में छा गया था सन्नाटा
महज सचिन को देखने के लिए पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था और अब वहां ऐसा सन्नाटा हो गया था कि सुई भी गिरती तो उसकी भी आवाज सुनाई दे जाती. जेम्स ने अगली ही गेंद पर द्रविड़ को भी एलबीडब्ल्यू आउट कर दिया तो मानो स्टेडियम में बैठे दर्शक उत्साहित हो गए. खुद जेम्स भी मुंह को हाथों में छिपाकर जश्न मनाने के बजाय नीचे बैठ गए कि मानो उन्हें खुद यकीन नहीं हो रहा था. वो अपने क्रिकेट करियर में 16 साल में पहली बार हैट्रिक बना चुके थे. अगले बल्लेबाज थे संजय मांजरेकर. जेम्स ने सीधी गेंद फेंकी, जिसे मांजरेकर ने डिफेंस करने की कोशिश की और गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए सीधे स्लिप में पॉल टैरी के हाथों में चली गई.
जेम्स चार गेंद में चार विकेट ले चुके थे और वह भी वर्ल्ड की बेस्ट बल्लेबाजी लाइनअप में से एक के खिलाफ. टीम इंडिया का स्कोर 207 रन पर एक विकेट से 207 रन पर 5 विकेट हो चुका था. हर कोई हैरान था. खुद जेम्स को भी इस सफलता पर यकीन नहीं हो रहा था. एक इतिहास और बन सकता था, यदि जेम्स की अगली गेंद पर सौरव गांगुली के बल्ले से मोटा किनारा लगकर गए कैच को लपकने में विकेटकीपर पॉल विटेकर सफल हो जाते. विटेकर ने लंबी डाइव भी लगाई, लेकिन गेंद पकड़ में नहीं आई.
अगले दिन ठोक दिया था शतक भी
जेम्स महज गेंदबाज नहीं थे बल्कि बल्लेबाजी भी अच्छी करते थे. उन्होंने अपनी गेंदबाजी की सफलता के जश्न में पूरी रात शराब पीने के बाद अगले दिन नंबर-4 पर बल्लेबाजी करते हुए जोरदार 103 रन की पारी भी खेली थी. ऐसा प्रदर्शन जेम्स अपने पूरे करियर में नहीं कर पाए और कभी इंग्लैंड के लिए नहीं खेले, लेकिन उस एक स्पैल के लिए वे जिंदगी भर याद रखे जाएंगे.
2004 के दौरे पर गांगुली से मिले थे जेम्स
टीम इंडिया जब अगली बार 2004 में टेस्ट सीरीज खेलने इंग्लैंड गई तो सौरव गांगुली टीम के कप्तान थे. उस दौरे पर जेम्स की मुलाकात रोज बाउल में मैच से पहले प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गांगुली से हुई थी. जेम्स तब बीबीसी के लिए काम करने लगे थे. केवान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस प्रेस कांफ्रेंस में मैंने अपना परिचय दिया तो दादा जोर से बोले, केवान जेम्स, चार गेंद में चार विकेट वाले? ये सुनकर सभी पत्रकार मेरी तरफ देखने लगे. मैंने तत्काल कहा, दादा आपको याद है. गांगुली ने कहा था कि हां मैं ऐसी चीजें याद रखता हूं. केवान ने उन्हें गली में उनका कैच छूटने की भी याद दिलाई तो गांगुली ने जेम्स को करेक्ट करते हुए कहा था कि गली नहीं मेरा कैच कवर्स में छूटा था.