भोपाल की एक विशेष अदालत ने 10 साल की भतीजी के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी मोहम्मद फरहान उर्फ चूजू को 20 साल के सश्रम कारावास और 4,000 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। पंद्रहवें अपर सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश कुमुदिनी पटेल ने यह फैसला सुनाया।
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विशेष लोक अभियोजक दिव्या शुक्ला और ज्योति कुजूर ने इस मामले में प्रभावी पैरवी की, जिसके परिणामस्वरूप वैज्ञानिक साक्ष्यों, तर्कों और दस्तावेजों के आधार पर यह सजा सुनाई गई। कोर्ट ने पीड़िता की बहादुरी और भविष्य को देखते हुए उसे 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने का भी आदेश दिया, ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके और अपने सपने पूरे कर सके।
नाबालिग के साथ रेप किया, विरोध करने पर मारपीट की
घटना 8 जून 2019 की है, जब पीड़िता अपनी फूफी और फूफा (आरोपी मोहम्मद फरहान) के साथ रहती थी। पीड़िता की मां की मृत्यु हो चुकी थी और उसकी फूफी को कोई संतान नहीं थी, इसलिए पीड़िता को उनकी देखभाल के लिए सौंपा गया था। पीड़िता अपनी फूफी और फूफा को माता-पिता कहती थी।
अभियोजन के अनुसार, जब फूफी काम पर जाती थीं, तब आरोपी फरहान नाबालिग के साथ गलत हरकतें करता था। उसने कई बार पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया, अश्लील वीडियो दिखाए और विरोध करने पर मारपीट की। उस समय पीड़िता की उम्र मात्र 10 वर्ष थी।
पीड़िता ने इस अमानवीय कृत्य की जानकारी अपनी मुंह बोली नानी को दी, जिन्होंने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित किया। इसके आधार पर गांधी नगर थाने में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू हुई। पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर प्रकरण को मजबूत किया और इसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया।
कोर्ट का फैसला
- धारा 376(क, ख) भादवि और 5एम/6 पॉक्सो एक्ट: 20 साल सश्रम कारावास और 1,000 रुपए अर्थदंड।
- धारा 376(2)एफ भादवि और 5एन/6 पॉक्सो एक्ट: 20 साल सश्रम कारावास और 1,000 रुपए अर्थदंड।
- धारा 376(2)एन भादवि और 5एल/6 पॉक्सो एक्ट: 20 साल सश्रम कारावास और 1,000 रुपए अर्थदंड।
- धारा 323 भादवि: 1 साल सश्रम कारावास और 1,000 रुपए अर्थदंड।
पीड़िता की हिम्मत और कोर्ट की संवेदनशीलता अंतिम सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि वह वर्तमान में एसओएस में रहती है और दसवीं कक्षा में पढ़ रही है। उसने अपनी मां की मृत्यु की जानकारी दी और बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती है। पीड़िता की इस हिम्मत और उसके भविष्य के सपनों को देखते हुए न्यायालय ने उसे 3 लाख रुपए की प्रतिकर राशि प्रदान करने का आदेश दिया, ताकि वह अपनी पढ़ाई और अन्य जरूरतों को पूरा कर सके।