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नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन की बैठक में एलर्जिक रायनाइटिस और एलर्जिक अस्थमा पर चर्चा हुई। पहले सत्र में डॉ. रविन्द्र केसरवानी ने कहा कि धूल, फूलों के पराग-कण, वर्षा ऋतु में फफूंद और ऋतु परिवर्तन एलर्जिक रायनाइटिस के कारण बनते हैं। समय पर इलाज न होने पर यह एलर्जिक अस्थमा में बदल जाता है। इन दोनों बीमारियों में एकल की बजाय संयुक्त चिकित्सा ज्यादा असरदार होती है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नीरज जैन ने कहा कि श्वास रोग और एलर्जिक अस्थमा में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रभावी है। वर्षा ऋतु और मौसम बदलने पर एलर्जी और श्वास रोग बढ़ते हैं। इनकी चिकित्सा में पंचकर्म, नस्यकर्म और योग की विधियां लाभदायक होती हैं। दूसरे सत्र में जिलाध्यक्ष डॉ. दिनेश पटैरिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी के लिए प्रदेश स्तर पर स्नातकोत्तर आयुष चिकित्सकों के तीन पदों को मंजूरी दी है। डॉ. सुरेशचंद्र रावत ने एसोसिएशन के आगामी कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी दी। डॉ. राजेश शुक्ला को केंद्रीय संविधान एवं एक्ट अमेंडमेंट समिति का सदस्य बनने पर स्वागत किया गया। डॉ. डीपी चौबे ने भी संबोधित किया। संचालन मीडिया प्रभारी डॉ. राहुल जैन ने किया। आभार कोषाध्यक्ष डॉ. पीआर विश्वकर्मा ने माना। बैठक में डॉ. सुभाष जैन, डॉ. आश्विन रेजा, डॉ. डीपी नेमा, डॉ. जिनेश जैन, डॉ. सीताराम नेमा, डॉ. दीपिका जैन, डॉ. नीरज पटेल, डॉ. वृंदावन कुर्मी, डॉ. सौरभ सिंघई, डॉ. सचिन जैन सहित चिकित्सक मौजूद थे।