मक्का की फसल पर मंडरा रहा संकट! 2 दिन में फसल साफ कर देगी ये खतरनाक इल्ली, तुरंत जानें इलाज

मक्का की फसल पर मंडरा रहा संकट! 2 दिन में फसल साफ कर देगी ये खतरनाक इल्ली, तुरंत जानें इलाज


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Agriculture News: खरगोन जिले में खरीफ सीजन में मक्का की बुआई के बाद अब फसल पर फॉल आर्मी वॉर्म का खतरा मंडरा रहा है. यह कीट तेजी से फैलता है और पूरी फसल को चट कर सकता है.

हाइलाइट्स

  • इल्ली से मक्का फसल बचाने का सबसे असरदार तरीका
  • खरगोन के वैज्ञानिकों ने बताया फॉल आर्मी वॉर्म का खौफ
  • मक्का के दुश्मन कीट से ऐसे करें बचाव
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में खरीफ सीजन में मक्का की बुआई बड़े पैमाने पर की गई है, लेकिन अब फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, बुवाई के 20 से 25 दिन बाद मक्का की फसल पर फॉल आर्मी वॉर्म (इल्ली) का हमला हो सकता है, जो बहुत ही घातक है. यह कीट इतनी तेजी से फैलता है कि अगर 2 दिन भी लापरवाही हुई तो पूरी फसल चट कर सकता है, जिससे किसान को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि फॉल आर्मी वॉर्म सबसे पहले मक्का की ऊपरी पत्तियों पर हमला करता है. शुरुआत में पत्तियों में छोटे-छोटे छेद बनते हैं, फिर कीट पत्तियों के झुरमुट (गुब्बे) में घुसकर उसे खा जाता है. ये कीट रात में ज्यादा सक्रिय रहता है और तेजी से फैलता है. खेत में एक भी पौधे में इसका लक्षण दिखे, तो पूरे खेत को खतरा हो सकता है. इसलिए किसानों को रोजाना खेतों का निरीक्षण करना जरूरी है.

इल्ली के लक्षणों की सही पहचान
नियंत्रण के लिए इल्ली के लक्षणों की पहचान जरूरी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि, मक्का की पत्तियों में लाइन से छेद दिखना, बीच से पत्तों का कटा होना, पत्तों के अंदर गंदगी और कीड़े का मल जमा होना इसके प्रमुख संकेत है. कई बार कीट खुद दिखाई नहीं देता, लेकिन उसके मल और नुकसान से मौजूदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इल्लियों से बचाव का देसी तरीका
वहीं, बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने सबसे पहले फेरोमोन ट्रैप लगाने की सलाह दी है, जिससे कीट की मौजूदगी और संख्या का आकलन किया जा सके. जैविक नियंत्रण के लिए डॉ. सिंह ने कहा कि जैसे ही लक्षण दिखें, किसान 3000 बीएमपी ग्रेड के नीम तेल का उपयोग करें. एक लीटर नीम तेल को पांच लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. यह उपाय शुरुआती अवस्था में बेहद असरदार होता है. हर 5-6 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव करने से कीट का असर कम किया जा सकता है.

रासायनिक दवाइयों का उपयोग कैसे करें
अगर कीट का प्रकोप ज्यादा फैल गया हो तो रासायनिक नियंत्रण जरूरी हो जाता है. इसके लिए किसान क्लोरण्ट्रानिलीप्रोल दवाई 60 मिली प्रति एकड़, 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. एक सप्ताह बाद स्पाइनोसेड या दोबारा क्लोरण्ट्रानिलीप्रोल का स्प्रे करने से कीट नियंत्रण में आता है. किसान भाई दानेदार कार्बोफ्रान दवाई  का भी उपयोग करके मक्का की फुगली में डालकर इल्लियों पर कंट्रोल पा सकते है. इससे निकलने वाली गैस अंदर ही इल्लियों को मार देती है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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मक्का की फसल पर मंडरा रहा संकट! 2 दिन में फसल साफ कर देगी ये खतरनाक इल्ली



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