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Shiv Mandir in Balaghat: मंदिर में एक रहस्यमयी गर्भगृह है, जहां पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान है. स्थानीय लोग यह भी दावा करते हैं कि यहां पर एक सुरंग है.
बालाघाट जिले की जीवन रेखा कहे जाने वाली वैनगंगा नदी के किनारे पर एक शंकर घाट है. यहीं पर करीब 150 साल पुराना शिव मंदिर है, जहां पर अब भक्तों का तांता लगा हुआ है. अब श्रावण माह का पहला सोमवार है, ऐसे में यहां पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर के कपाट सुबह साढ़े पांच बजे ही खुल जाते हैं.
शंकर घाट मंदिर को करीब 150 साल पुराना बताया जा रहा है, जबकि इसका जीर्णोद्धार 72 साल पहले यानी 1953 में हुआ था. ऐसे में वहां की शैली में प्राचीनता दिखाई पड़ती है. मंदिर में एक रहस्यमयी गर्भगृह है, जहां पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान है. स्थानीय लोग यह भी दावा करते हैं कि यहां पर एक सुरंग है, जो मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान संरक्षित कर ऊपर स्थापित की गई है.
नंदी महाराज की प्रतिमा और वैनगंगा नदी का दृश्य
शिवलिंग के निकट दो नंदी की मूर्तियां स्थापित हैं, जिनमें से एक मूर्ति अत्यंत प्राचीन है. मंदिर वैनगंगा नदी के किनारे पर बसा हुआ है, ऐसे में भक्त गण मंदिर में दर्शन के साथ-साथ वैनगंगा नदी के दर्शन करते हैं. बारिश के दिनों में नदी का दृश्य और भी आनंददायक होता है.
महाशिवरात्रि और सावन का महत्व
शंकर घाट में सावन के महीने के अलावा महाशिवरात्रि के समय भी काफी भीड़ उमड़ती है. सावन के महीने में यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो भगवान शिव की पूजा करते हैं और वैनगंगा नदी में स्नान करते हैं.