श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या में कलाकारों ने बिखेरा जादू: शास्त्रीय गायन, हवाईयन गिटार और ओडिसी नृत्य से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध – Ujjain News

श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या में कलाकारों ने बिखेरा जादू:  शास्त्रीय गायन, हवाईयन गिटार और ओडिसी नृत्य से दर्शक हुए मंत्रमुग्ध – Ujjain News


त्रिवेणी संग्रहालय के सभागृह में श्रावण महोत्सव 2025 की तीसरी संध्या शनिवार को संपन्न हुई। इस अवसर पर प्रसिद्ध कलाकारों ने शास्त्रीय गायन, हवाईयन गिटार वादन और ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 20वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव ‘शिव सम्भवम’ में दीप प्रज्जवलन के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। पहली प्रस्तुति में प्रो. जयंत खोत ने राग यमन में विलंबित लय में ‘तुम तो अपरम्पार’ प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने द्रुत लय में ‘जाने दे ओ बनवारी’ और ‘शंकर डमरू बाजे रे’ की प्रस्तुति दी। उन्होंने राग खमाज में ताल रूपक टप्पा ‘म्हारा जियरो रे’ से अपनी प्रस्तुति का समापन किया। तबला पर निशांत शर्मा और हारमोनियम पर नारायण काटे ने संगत की।

कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में नई दिल्ली से आईं पद्मश्री गीता महालिक ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से शिव तांडव और गंगा तरंग ‘रमणीय जटा कलापम’ प्रस्तुत किया। इसके बाद पारंपरिक ‘रस मंजरी’ की प्रस्तुति में राधा-कृष्ण और गोपियों की होली के दृश्य और रासलीला दिखाई गई। प्रस्तुति का समापन दक्षिण भारत के कवि स्वाति तेरुनाल की कविता पर आधारित ‘रामायणम्’ से किया गया। इसमें अहिल्या उद्धार, श्री राम-सीता विवाह, सीता हरण, सेतु निर्माण और रावण वध के प्रसंग प्रस्तुत किए गए। मंच पर संगीता मोहन्ती, टिक्कवल सोनी और माधुरी भौमिक ने नृत्यांगनाओं के रूप में सहयोग किया।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति ग्वालियर के डॉ. सुनील पावगी ने हवाईयन गिटार वादन से दी। उन्होंने राग मेघ में संक्षिप्त आलाप से शुरुआत की और फिर जोड़ व झाला प्रस्तुत किया। इसके बाद राज मिश्रपीलू में धुन प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उनके साथ तबला पर पं. हितेंद्र दीक्षित और हवाईयन गिटार पर साहेब सिंह ने संगत की।

कार्यक्रम में संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय कुमार सीजे, मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष नारायण यादव और आईजी उमेश जोगा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन शैफाली चतुर्वेदी ने किया।



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