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अगर आप किसान हैं और जुताई-बुवाई का काम करते हैं, तो शासन की सब्सिडी पर आप ऐसी आधुनिक मशीनें खरीद सकते हैं, जिससे आपकी जुताई-बुवाई की लागत भी कम हो जाएगी और मुनाफा भी आपका बढ़ जाएगा. कैसे करें आवेदन, जानें यहां….
जो किसान भाई कृषि यंत्र खरीदना चाहते हैं. उनके लिए खुशखबरी है. क्योंकि मप्र कृषि अभियांत्रिकी विभाग के ऑनलाइन पोर्टल ई-कृषि यंत्र अनुदान पर हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसे कृषि यंत्र के लिए आवेदन शुरू हो गए हैं.

बता दें, हैप्पी सीडर की अनुमानित कीमत 1.5 से 2 लाख रुपए है. वहीं सुपर सीडर की अनुमानित कीमत 3 लाख रुपए है. इन दोनों ही यंत्रों में सरकार द्वारा 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है. ये दोनों यंत्र खरपतवार को नष्ट करने और जुताई-बुवाई में काम आते हैं.

कृषि अभियांत्रिकी विभाग के ऑनलाइन पोर्टल ई-कृषि यंत्र अनुदान <strong>farmer.mpdage.org</strong> पर हैप्पी फीडर और सुपर सीडर के आवेदन 24 जुलाई 2025 से ऑनलाइन आमंत्रित किया जा रहे हैं.

जिसके लिए आधार कार्ड , जमीन की खतौनी बी 1 हि, ट्रैक्टर (45 HP से अधिक) का पंजीयन प्रमाण पत्र(आरसी), एसटी वर्ग के लिए जाति प्रमाण पत्र, कृषक के बैंक खाते की छाया प्रति, सहायक कृषि यंत्री छतरपुर के नाम से 4,500 रुपए का बैंक डिमांड ड्राफ्ट जो आवेदक की स्वयं की खाते से बना हो.

हैप्पी सीडर में आगे की तरफ विशेष प्रकार की ब्लड की श्रृंखला लगी होती है. जो खेत में लगी खरपतवार और बची हुई फसल की अवशेषों को बारीकी से काटते हुए बिना जुताई के सीधी बुवाई करने का कार्य करता है. वहीं सुपर सीडर हल्की जुताई करने के साथ बुवाई का कार्य एक ही बार में करता है.

हैप्पी और सुपर सीडर के उपयोग से रवि की फसल की बुवाई 15 से 20 दिन जल्दी की जा सकती है और बिना जुताई और हल्की जुताई के साथ बुवाई करने से खेत की मिट्टी में उपलब्ध नमी का उपयोग फसल के अंकुरण में हो जाता है.

जिससे फसल को एक सिंचाई की कम आवश्यकता रहती है और दो बार का कार्य एक ही बार में हो जाने से लागत में भी कमी आती है. हैप्पी सीडर की अनुमानित कीमत 1.5 से 2 लाख रुपए है. जिस पर शासन द्वारा यंत्र की कीमत का 50% या अधिकतम 81,400 से 86,400 रुपए तक का अनुदान दिया जाता है.

वहीं सुपर सीडर की अनुमानित कीमत 3 लाख रुपए है जिस पर शासन द्वारा 50% या अधिकतम 1 लाख 20 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जाता है. आवेदकों का चयन लॉटरी के आधार पर किया जाता है. लॉटरी में जिस किसान का नाम आता है उसे शासन की सब्सिडी पर यंत्र दिए जाते हैं.