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Agriculture News: बीज लगाने के तीन साल बाद पेड़ फल देना शुरू कर देता है. एक बार बगीचा तैयार हो जाए, तो कई साल तक कमाई होती रहती है. आमतौर पर मई-जून महीने में फूल लगते हैं और दीवाली के बाद फल पकने लगते हैं. एक म…और पढ़ें
किसान विष्णु पाटीदार लोकल 18 को बताते हैं कि उन्होंने लंबे समय तक पारंपरिक फसलों की खेती की लेकिन इन फसलों में लागत ज्यादा और मुनाफा कम था. कपास और गन्ना जैसी फसलें काफी मेहनत मांगती हैं और मौसम की मार पड़ जाए, तो पूरी फसल चौपट हो जाती है. ऐसे में नुकसान उठाना आम बात थी. इसके बाद उन्होंने खेती में बदलाव का मन बनाया और बागवानी में हाथ आजमाया.
तीन एकड़ में लगाया सीताफल का बगीचा
उन्होंने बताया कि करीब 14 साल पहले तीन एकड़ खेत में सीताफल की बागवानी शुरू की. सीताफल ऐसी फसल है, जिस पर न तो ज्यादा मेहनत लगती है और न ही ज्यादा पानी चाहिए. गर्मियों में सिर्फ एक-दो बार सिंचाई करनी पड़ती है. खास बात यह है कि यह फसल आंधी, बारिश और मौसम के अन्य उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होती. एक बार लगाने के बाद कई वर्षों तक फल मिलता रहता है.
उन्होंने बताया कि बीज लगाने के तीन साल बाद सीताफल के पेड़ फल देना शुरू कर देते हैं. एक बार बगीचा तैयार हो जाए, तो कई वर्षों तक इससे कमाई होती रहती है. पहले तीन साल और बाद में भी जब तक पेड़ पूरी तरह फैले नहीं, तब तक खेत में खाली जगह में दूसरी फसलें ली जा सकती हैं. इससे अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है. अभी बारिश के मौसम में वह अपने पुराने बगीचे को उखाड़ नया बगीचा लगा रहे हैं.
एक बीघा में 70 हजार रुपये का मुनाफा
विष्णु पाटीदार ने आगे बताया कि बारिश का मौसम बागवानी के लिए बेहतर समय होता है. तीन साल बाद सीताफल के पेड़ों पर फल आना प्रारंभ हो जाते हैं. आमतौर पर मई-जून में फूल लगते हैं और दीवाली के बाद फल पकने लगते हैं. एक महीने तक फल आते हैं और बाजार में इनकी अच्छी मांग रहती है. एक बीघा में करीब 70 हजार रुपये तक का मुनाफा हो जाता है. इस हिसाब से तीन एकड़ (करीब साढ़े 4 बीघा) में हर साल तीन लाख रुपये से ज्यादा कमाई होती है.