आलीराजपुर आदिवासी बहुल जिले में लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण लोग मजबूरी में झोलाछापों से इलाज करा रहे हैं। नानपुर क्षेत्र में आठ दिन के भीतर फर्जी डॉक्टर के इलाज के बाद दूसरी मौत हो गई है।
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नानपुर के ग्राम भोरदिया में सोमवार को 35 वर्षीय भल सिंह की मौत हो गई। मृतक के पुत्र महेश ने बताया कि उसके पिता को बुखार, उल्टी और दस्त की शिकायत थी। ग्राम जवानिया के एक झोलाछाप डॉक्टर ने उन्हें सुबह दो बोतल चढ़ाई थी।
बोतल चढ़ाने के कुछ घंटे बाद मरीज की तबीयत और बिगड़ गई। जिला अस्पताल ले जाने की तैयारी चल रही थी। 108 एंबुलेंस में लिटाते समय ही उनकी मौत हो गई।
कुछ दिन पहले एसडीएम ने जवानिया में झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक पर कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई के बाद झोलाछापों ने क्लिनिक तो बंद कर दिए हैं, लेकिन अब वे घर जाकर इलाज कर रहे हैं। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी राजेश डावर और पटवारी राजपाल रावत मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्वजन से चर्चा कर जांच शुरू की है।
इससे पहले क्षेत्र के एक युवक जेराम बघेल को सीने में जलन व बेचैनी की शिकायत थी। परिजन उसे सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए लेकर पहुंचे थे। वहां कोई जिम्मेदार नहीं मिला। मजबूरी में परिवार के लोग युवक को झोलाछाप बिट्टू विश्वास के पास ले गए।
झोलाछाप ने युवक को दो इंजेक्शन लगाए थे, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से प्रशासन की टीम लगातार कार्रवाई में जुटी है। कलेक्टर ने अपील जारी की थी कि कोई भी झोलाछाप से उपचार न करवाए, लेकिन मजबूरी में लोगों को इनके पास जाना पड़ रहा है।
दवा सप्लायर पर नहीं हो रही कार्रवाई प्रशासन की संयुक्त टीम जहां भी दबिश दे रही है, वहां एलोपैथिक दवाओं का जखीरा बरामद हो रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि गैर पंजीकृत लोगों को कौन इतनी भारी मात्रा में दवाएं सप्लाई कर रहा है। बताया जाता है कि जिला मुख्यालय से एक दवा दुकानदार झोलाछाप डॉक्टरों को दवा सप्लाई कर रहा है। हालांकि, प्रशासन की इस ओर निगाह नहीं है। सबसे पहले यहीं कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि दवा की आपूर्ति रुक सके।