देश के इकलौते तक्षक नाग मंदिर में उमड़ी आस्था, सापों को दूध पिलाने की प्रथा…

देश के इकलौते तक्षक नाग मंदिर में उमड़ी आस्था, सापों को दूध पिलाने की प्रथा…


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Nagpanchami Special : खरगोन से महज 5 किलोमीटर दूर दामखेड़ा में मौजूद प्रसिद्ध नाग मंदिर और 25 किलोमीटर दूर दसनावल में देश के एकमात्र तक्षक नाग मंदिर आस्था का सैलाब उमड़ा. यहां करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने प्राचीन…और पढ़ें

दीपक पांडेय/खरगोन. मंगलवार को नाग पंचमी का पर्व खरगोन सहित पूरे जिले में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया. आमदिनों में जहां लोग सांप के दिखने पर डर जाते थे, वहीं आज के दिन लोगों ने सांपों के पूजा की, उन्हें दूध पिलाया. वहीं, भिलट देव एवं नाग मंदिरों में सुबह से ही भक्तों ताता लगा रहा. शहर से महज 5 km दूर दामखेड़ा में मौजूद प्रसिद्ध नाग मंदिर और दसनावल में देश के एकमात्र तक्षक नाग मंदिर आस्था का सैलाब उमड़ा. यहां करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरों में दर्शन, पूजन कर मेले का लुफ्त उठाया.

नारियल चढाने की परंपरा

बता दे कि, खरगोन के प्रसिद्ध और प्राचीन दामखेडा नाग मंदिर में नारियल चढाने की परंपरा है, जो कई सदियों ने निरंतर जारी है. मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी मुराद मांगतें है नागदेवता उनकी हर मनोकामना पूरी करते है. मन्नत पूरी होने पु भक्त नारियल चढ़ाते है. इस मंदिर में जिले सहित अन्य शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे. सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल पूरे समय तैनात रहा. नाग पंचमी पर यहां लगभग 130 वर्षों से मेला भी लग रहा है. बच्चों एवं बड़ों के मनोरंजन के लिए झूले, खरीदारी एवं खाने पीने की दुकानें लगाई है.

देश का इकलौता तक्षक नाग मंदिर
इधर, जिला मुख्यालय से करीब 25 km दूर ग्राम दसनावल में भी तक्षक नाग मंदिर में बारिश के बावजूद सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. देश में तक्षक नाग का यह इकलौता स्वयं भू मंदिर है. डॉ. बसंत सोनी एवं मंदिर के पुजारी घनश्याम भारद्वाज बताते है कि, इसी जगह तक्षत नाग ने राजा परीक्षित को डंसा था. यहां धनवंतरी के अवशेष भी पाए गए है. कहा जाता है कि, तक्षक नाग द्वारा राजा परीक्षित को डसने के बाद धनवंतरी प्रकट हुई थी.

यह क्षेत्र सांपों का आवास
तक्षक नाग को शक था कि कहीं धनवंतरी राजा को बचा ना ले इसलिए उसने अपनी फूंकार से वट वृक्ष को जला दिया था. लेकिन कश्यप ब्राह्मण ने इस पेड़ को पुनः हर भरा कर दिया था. यह वृक्ष करीब 5 हजार साल पुराना माना जाता है. डॉ. सोनी बताते है कि, दसनावल से नागलवाड़ी तक क्षेत्र सांपों का रहवास माना जाता है. इसलिए खरगोन जिले में नाग पंचमी का पर्व बड़े ही उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है. जिले में 27 प्रजातियों के सांप पाए जाते है.

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