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Satna News: बघेलखंड में पोहे का स्वाद भले ही हर घर की रसोई में बसता हो लेकिन इसकी सप्लाई अब भी भारी मात्रा में छत्तीसगढ़ पर ही निर्भर है. परिवहन खर्च के चलते यहां तक आते आते इसकी कीमत बढ़ जाती है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर पोहा यूनिट लगाना..
मैन्युअल और ऑटोमैटिक यूनिट में निवेश का मौका
सोहावल विकासखंड की आरएचईओ मीनाक्षी वर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि मैन्युअल पोहा यूनिट लगाने में लगभग 5 से 6 लाख का खर्च आता है, जबकि ऑटोमैटिक यूनिट के लिए करीब 10 लाख रुपये की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि बघेलखंड जैसे क्षेत्र में यह व्यापार अच्छा स्कोप रखता है क्योंकि अभी तक पोहा बाहर से मंगवाया जाता है. मैहर की महिला उद्यमी महिमा ने मैन्युअल पोहा यूनिट लगाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाया है और अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. उनकी सफलता स्थानीय युवाओं और महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है. यह उदाहरण साबित करता है कि पोहे का व्यापार यहां के लिए एक सुनहरा अवसर है.
इस बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पीएमएफएमई स्कीम के तहत विशेष प्रोत्साहन दे रही हैं. इस योजना के तहत नए उद्यम शुरू करने या पुराने व्यापार को विस्तार देने के लिए 35% तक की सब्सिडी और अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है. इतना ही नहीं तीन करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट को भी इस योजना के तहत मंजूरी मिल सकती है.
आवेदन की प्रक्रिया
इस स्कीम का लाभ उठाने के इच्छुक उद्यमी मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग की वेबसाइट पर सीधा आवेदन कर सकते हैं या फिर उद्यानिकी विभाग से जानकारी हासिल कर सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थानीय स्तर पर पोहा यूनिटें स्थापित होती हैं तो इससे रोजगार, मुनाफा और क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता तीनों में इजाफा होगा.