वैकुंठ चतुर्थी पर पंढरीनाथ मंदिर में भव्य आयोजन, भगवान करेंगे नौका विहार

वैकुंठ चतुर्थी पर पंढरीनाथ मंदिर में भव्य आयोजन, भगवान करेंगे नौका विहार


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Khargone News: कार्तिक पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा की रात 9 बजे भगवान पंढरीनाथ और माता रुक्मिणी को नर्मदा नदी में नौका विहार कराया जाएगा. इस दौरान नर्मदा तट दीपों की रोशनी से जगमगा उठेगा. रात 12 बजे महाआरती होगी और इसके बाद चिवड़ा प्रसादी वितरण किया जाएगा.

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन में नर्मदा तट पर बसे ऐतिहासिक नगर महेश्वर में श्री पंढरीनाथ रुक्मिणी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि देवी अहिल्या बाई होलकर द्वारा इसकी स्थापना कराए जाने के कारण भी विशेष महत्व रखता है. हर साल यहां देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक धार्मिक आयोजन होते है, जिसमें वैकुंठ चतुर्थी (Vaikunth Chaturdashi 2025) का पर्व सबसे विशेष माना जाता है. इस बार भी मंदिर में दो दिवसीय विष्णु यज्ञ और भगवान का नौका विहार आयोजन होगा.

मंदिर के पुजारी विपिन तिवारी और समिति के पंडित नितिन पुरोहित ने लोकल 18 को बताया कि गोपाष्टमी से कार्तिक पूर्णिमा तक मंदिर में ‘हरे राम हरे कृष्ण’ महामंत्र का अखंड संकीर्तन चल रहा है. 4 नवंबर को वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर सुबह 10 बजे से श्री विष्णु यज्ञ का शुभारंभ होगा. अगले दिन कार्तिक पूर्णिमा (5 नवंबर) को दोपहर तीन बजे यज्ञ की पूर्णाहुति और उसके बाद महाप्रसादी वितरण किया जाएगा. साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर यहां श्रद्धालु मटकी फोड़ का आयोजन भी करते हैं. भक्तजन इस दृश्य को देखने के लिए देर रात तक तट पर उपस्थित रहते हैं.

भगवान का नौका विहार
कार्तिक पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा की रात 9 बजे भगवान पंढरीनाथ और रुक्मिणी जी को नर्मदा नदी में नौका विहार कराया जाएगा. इस दौरान पूरा नर्मदा तट दीपों की रोशनी से जगमगा उठेगा. रात 12 बजे महाआरती के बाद चिवड़ा प्रसादी वितरण किया जाएगा. इस अवसर पर आसपास के गांवों और शहरों से हजारों भक्तों के पहुंचने की संभावना है.

साल 1985 से लगातार चल रहा सदाव्रत
साल 1985 में ब्रह्मलीन संत रामचंद्र जी डोंगरे महाराज की भागवत कथा के बाद यहां सदाव्रत की परंपरा शुरू हुई थी. संतश्री के सान्निध्य में गठित धार्मिक समिति के माध्यम से मंदिर में आज भी अखंड भजन-कीर्तन और भोजन सेवा जारी है. इस सेवा में साधु-संत, परिक्रमावासी और बेसहारा लोग प्रतिदिन तीनों समय भोजन ग्रहण करते हैं. ब्रह्मलीन संत अलोने बाबा के सान्निध्य में यह परंपरा आज भी निरंतर चल रही है, जो महेश्वर की धार्मिक पहचान बन चुकी है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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