टीकमगढ़ में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) विभाग में ऑफलाइन टेंडर प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं के मामले में कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक भी पहुंच गई है, जहां यह एल3 स्तर पर लंबित है।
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कलेक्टर विवेक श्रोतिय ने मंगलवार को जिला पंचायत सीईओ नवनीत धुर्वे को पत्र जारी कर ऑफलाइन टेंडर के माध्यम से दिए गए ठेकों की जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पीएमओ में भी हुई शिकायत
इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय में दर्ज शिकायत एल3 स्तर पर पहुंच गई है, जिस पर विभाग के सागर में पदस्थ अधीक्षण यंत्री (एसई) को कार्रवाई करनी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अवर सचिव शोभा निकुम ने 7 नवंबर 2024 को एक पत्र जारी किया था।
इस पत्र में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में सभी निविदाएं ई-टेंडरिंग के माध्यम से आमंत्रित करने के निर्देश दिए गए थे। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि 10 लाख रुपये तक के कार्यों के लिए अल्पकालीन निविदाएं आमंत्रित करने में ई-टेंडरिंग की अनिवार्यता से विशेष परिस्थितियों में छूट मिल सकती है।
हालांकि, ऐसी स्थिति में संभागीय आयुक्त, कलेक्टर और अधीक्षण यंत्री का अनुमोदन आवश्यक है। आरोप है कि टीकमगढ़ में इन निर्देशों की अनदेखी की गई। आरटीआई कार्यकर्ता शुभम व्यास ने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद जांच के निर्देश जारी हुए हैं।
नियमों के उल्लंघन का आरोप
शुभम व्यास ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रभारी कार्यपालन यंत्री अर्पित चौधरी और निविदा लिपिक ने नियमों का उल्लंघन करते हुए ऑफलाइन निविदाएं आमंत्रित कीं, जिससे शासन को आर्थिक क्षति हुई। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से हुआ है। शिकायतकर्ता के अनुसार, चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए सांठगांठ की गई। पीएम श्री विद्यालय योजना, खेल मैदानों, बास्केटबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन कोर्ट, मरम्मत और शौचालय निर्माण जैसे कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं होने का आरोप है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
शासन के नियमों के विपरीत ऑफलाइन निविदाएं बुलाकर आर्थिक लाभ अर्जित किया गया। आरटीआई जानकारी बताती है कि जहां अधिकांश कार्य ई-टेंडरिंग से 24 से 35 प्रतिशत कम दरों पर हुए, वहीं अजनौर, आचार्य धाम, कंजना, देरी, अनंतपुरा और स्यावनी जैसे गांवों में जानबूझकर ऑफलाइन निविदाएं आमंत्रित की गईं।
हर काम के अलग-अलग टेंडर आरोप है कि एक ही योजना के तहत समान प्रकृति के कार्यों को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर अलग-अलग ऑफलाइन निविदाएं बुलाई गईं, जबकि नियमों के अनुसार ऐसे कार्यों की एक ही निविदा जारी होनी चाहिए। ग्राम अनंतपुरा और स्यावनी में पांच-पांच लाख रुपये के खेल मैदान निर्माण कार्यों को तीन भागों में बांटा गया।
इसी तरह, अनुसूचित जाति सीनियर बालक छात्रावास चंदेरा और कन्या छात्रावास डुंडा में भी मरम्मत कार्यों की निविदाएं ऑफलाइन बुलाकर मनचाहे ठेकेदारों को दी गईं। वर्तमान कार्यपालन यंत्री देवानंद शुक्ला का कहना है कि जल्दी काम करने के लिए ऑफलाइन टेंडर लगाए गए। ऑफलाइन टेंडर नहीं लगाए जा सकते, ऐसा कोई सख्त नियम नहीं है।