- खरीफ के लिए खेत तैयार करने में जुटे किसान, 1 लाख 39 हजार 500 हेक्टेयर में हाेगी बाेवनी
दैनिक भास्कर
Jun 05, 2020, 06:53 AM IST
श्याेपुर. जिले में मानसून पूर्व की गतिविधियाें के बीच क्षेत्रीय किसानाें ने खरीफ सीजन के लिए अपने खेताें की हांक-जाेत का काम शुरू कर दिया है। इस बार माैसम विभाग द्वारा मानसून में बेहतर बारिश की संभावना काे देखते हुए कृषि विभाग ने खरीफ फसल की बाेवनी का लक्ष्य 10 प्रतिशत बढ़ाया है। जिलेभर में 1 लाख 39 हजार 500 हेक्टेयर में खरीफ फसल की बाेवनी हाेगी। जिले में गत वर्ष किसानाें ने 1लाख 29 हजार 770 हेक्टेयर में खरीफ फसल की पैदावार ली थी।
सर्वाधिक 36 हजार हेक्टेयर में धान की राेपणी का टारगेट रखा गया है। यह पिछले साल से एक हजार हेक्टेयर ज्यादा है, जबकि साेयाबीन की बाेवनी का रकबा 28 हजार हेक्टेयर रखा गया है। श्याेपुर, कराहल एवं विजयपुर ब्लाॅक के सिंचित और असिंचित क्षेत्र में किसान अपने खेताें काे तैयार करने मेें जुटे हुए हैं। कृषि वैज्ञानिकाें ने किसानाें काे गहरी हंकाई करने तथा समय रहते बीज का बंदाेबस्त करने की सलाह दी है।
सबसे ज्यादा धान, साेयाबीन और बाजरा का रकबा
कृषि विभाग ने जिलेभर में सबसे ज्यादा 36 हजार हेक्टेयर में धान, 28 हजार हेक्टेयर में साेयाबीन और 22 हजार हेक्टेयर में बाजरा की बाेवनी का लक्ष्य रखा है। श्याेपुर और बड़ाैदा तहसील में निजी सिंचाई साधन वाले ज्यादातर किसान धान की फसल करेंगे, जबकि श्याेपुर, मानपुर, प्रेमसर व दांतरदा सर्कल में नहर से सिंचित हाेने वाले इलाके मेें किसान साेयाबीन की बाेवनी का मानस बनाए बैठे हैं। वहीं विजयपुर और कराहल तहसील के असिंचित क्षेत्र के किसान बाजरा की बाेवनी के लिए खेताें काे तैयार कर रहे हैं।
इस बार साेयाबीन बीज की उपलब्धता है कम, किसान गतवर्ष की उपज को बीज के रूप में काम में लें
कृषि विभाग ने आगामी खरीफ सीजन में किसान को घर पर रखे सोयाबीन बीज की सफाई कर छोटे व टूटे हुए दानाें काे अलग कर बीजोपचार के बाद बाेवनी करने की सलाह दी है। सोयाबीन एक स्वप्रमाणित फसल है इसका प्रमाणित बीज द्वारा उत्पादित बीज से किसानों द्वारा आगामी दो-तीन वर्ष तक बोवनी की जा सकती है। कृषि विभाग के एसडीओ एसके शर्मा ने बताया कि खरीफ वर्ष 2019 में अतिवृष्टि के कारण जिले में सोयाबीन का उत्पादन काफी कम हुआ था।
इन परिस्थितियाें में बाजार में साेयाबीन बीज के भाव ज्यादा तथा अच्छी गुणवत्ता के बीज की कमी की संभावना रहेगी इसलिए किसान पिछले साल साेयाबीन की फसल काे बीज के लिए छंटाई करके उत्पादकता का परीक्षण कर लें। 70 प्रतिशत दाने अंकुरित हाेने की दशा में ही अपने खेताें में बीज के रूप में इस्तेमाल करें।
घर लाैटे प्रवासी मजदूराें ने भी संभाली अपनी जमीन
दूसरे राज्याें से लौटे प्रवासी मजदूराें ने लॉकडाउन के बीच कोरोना काल को अवसर में बदलने के लिए अपनी जमीन संभाल ली है। कराहल ब्लाॅक में आदिवासी किसान लाॅकडाउन में राेजगार के अवसर कम हाेने के कारण अपने खेताें में अनाज उगाने की तैयारी कर रहे हैं। कराहल क्षेत्र में भूमिहीन आदिवासी परिवाराें काे शासन की ओर से अवंटित की गई ज्यादातर जमीन असिंचित है।
जहां सालभर में सिर्फ बारिश के मौसम में ही फसल हो सकती है। साधन अकार समय पर लागत की कमी के चलते यह किसान अपनी जमीन बंटाईदार से जुता ते थे, लेकिन इस बार अदिवासी किसान खुद ही अपनी जमीन में खेती करने का मंसूबा बना चुका है।
पी गुजरे, उप संचालक, कृषि विभाग श्याेपुर ने बताया- खरीफ फसल की बोवनी का टारगेट 10 फीसदी बढ़ाया असिंचित क्षेत्र में किसान तैयारी में जुट गए
माैसम विभाग की मानसून सीजन में 100 प्रतिशत बारिश हेनेन के अनुमान काने देखते हुए जिले में खरीफ फसल की बावनी का रकबा गत वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ाया गया है। जिलेभर में 1 लाख 39 हजार 500 हेक्टेयर रकबे में बावनी का लक्ष्य रखा गया है। बावनी के लिए सिंचित अकार असिंचित क्षेत्र में किसान तैयारी में जुट गए हैं। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिकाें काे मैदानी क्षेत्र का भ्रमण करके किसानाें काे बीजाें की किस्म का चयन तथा बीजाेपचार की विधि बताने के लिए निर्देशित किया गया है।