दुनियाभर में मशहूर हथकरघा कला का कमाल… महिलाओं की बदली जिंदगी, विदेशों से भी मिल रहे ऑर्डर

दुनियाभर में मशहूर हथकरघा कला का कमाल… महिलाओं की बदली जिंदगी, विदेशों से भी मिल रहे ऑर्डर


Bharatpur Handloom: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में महिलाएं और पुरुष पारंपरिक खादी हथकरघा के जरिए न सिर्फ अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि देश की विरासत को भी आगे बढ़ा रहे हैं. रामपुर नैकिन में स्थित भरतपुर हथकरघा और दस्तकारी सहकारी समिति मर्यादित इस बदलाव का बड़ा केंद्र बन चुकी है. 20 समूहों की इस समिति में लगभग 168 सदस्य शामिल हैं.

इस काम की शुरुआत आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह बनाकर की गई थी. पहले घर खर्च के लिए संघर्ष करने वाली महिलाएं अब खुद कमाने लगी हैं और उनका आत्मविश्वास दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. इन महिलाओं के बनाए उत्पाद आज भोपाल, मुंबई, दिल्ली समेत देशभर के शहरों में बिक रहे हैं. यहां तक कि कुछ उत्पाद दुबई तक निर्यात हो चुके हैं.

समिति प्रबंधक शैलेंद्र सिंह ने लोकल18 को जानकारी देते हुए बताया कि एक बुनकर प्रतिदिन लगभग 8 से 10 मीटर कपड़ा तैयार करता है, जिससे उसे 400 से 500 रुपए की आमदनी हो जाती है. एक मीटर कपड़े की लागत 145 रुपए पड़ती है और बाजार में यह 180 रुपए में बिकता है. यहां तैयार सभी कपड़े शुद्ध कॉटन और हाथ से बुने होते हैं.

खादी कपड़ों की कीमत गुणवत्ता
महिलाओं द्वारा सबनाए गए डस्टर 20 से 30 रुपए तक में मिलते हैं, जबकि खादी कपड़ों की कीमत गुणवत्ता और डिजाइन के अनुसार बदलती रहती है. जबलपुर से आने वाले कच्चे माल को महिलाएं मिलकर तैयार कपड़ों में बदलती हैं. ब्लॉक प्रबंधक विनोद कुमार मिश्रा ने लोकल18 को बताया रामपुर नैकिन क्षेत्र के ग्राम पंचायत खरहना, बुढ़गौना, बरहठ, कपूरी कोठार, भरतपुर, भैसरहा, पिपरौंव, अमिलई और गोडहाटोला की करीब 168 पुरुष और महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है.

इन उत्पादों की प्रदर्शनी दिल्ली हाट, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, सरस मेला, श्रावण मेला और कई बड़े आयोजनों में की जा चुकी है. प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण, भवन और तकनीकी सहायता मिलने से इनका कारोबार और तेजी से बढ़ रहा है.



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