ठंड में पाले की मार से बचाएं चने की फसल, ये है धुएं वाला जादुई उपाय

ठंड में पाले की मार से बचाएं चने की फसल, ये है धुएं वाला जादुई उपाय


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Sidhi News: डॉ वेद प्रकाश सिंह ने लोकल 18 से कहा कि सर्दियों में खेतों में धुआं करना किसानों का एक पुराना और कारगर देसी उपाय है. गांवों में ठंड बढ़ते ही खेतों पर यह नजारा आम हो जाता है.

सीधी. मध्य प्रदेश के सीधी जिले में इन दिनों कड़ाके की ठंड और शीतलहर का प्रकोप देखने को मिल रहा है. लगातार गिरते तापमान ने आम जनजीवन के साथ-साथ किसानों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. खासकर रबी फसलों पर इस ठंड का गहरा असर पड़ता नजर आ रहा है. किसान फसलों को बचाने के लिए चिंतित हैं. सबसे अधिक असर चने की फसल पर देखने को मिल रहा है. इस समय चने में फूल और फलियां बनने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अत्यधिक ठंड के कारण फूल झड़ने लगे हैं. कई खेतों में पहले से बनी फलियां भी पाले की कमी के कारण सूख रही हैं.

रामपुर नैकिन के किसान विमलेश वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने काफी मेहनत से फसलें उगाई हैं और अब शीतलहर से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रात में सिंचाई कर रहे हैं और खेतों में धुआं भी कर रहे हैं ताकि पाले का असर कम हो सके.

पुराना और कारगर देसी उपाय
डॉ वेद प्रकाश सिंह ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि सर्दियों में खेतों में धुआं करना किसानों का एक पुराना और कारगर देसी उपाय माना जाता है. ग्रामीण इलाकों में ठंड बढ़ते ही यह नजारा आम हो जाता है. जब तापमान अचानक गिरता है और पाले की आशंका होती है, तब किसान खेतों की मेड़ों पर पैरा या सूखी फसल अवशेष जलाकर धुआं करते हैं. इससे खेत के आसपास एक तरह का हरित गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इफेक्ट) बनता है, जिसमें ऊष्मा अंदर तो प्रवेश कर जाती है लेकिन बाहर नहीं निकल पाती.

सुरक्षा कवच बनाती है धुएं की परत
डॉ वेद प्रकाश सिंह ने आगे बताया कि धुएं की परत फसलों के ऊपर एक सुरक्षा कवच का काम करती है. इससे खेत के भीतर का तापमान कुछ हद तक बढ़ जाता है और पाले का सीधा असर फसलों पर नहीं पड़ता. यही कारण है कि वर्षों से गांवों में इस देसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता रहा है और आज भी इसे प्रभावी माना जाता है. किसान सलाहकार मनसुख लाल कुशवाहा मानते हैं कि केवल धुआं ही काफी नहीं है बल्कि रात में हल्की सिंचाई, खेतों में नमी बनाए रखना और मौसम पर नजर रखना भी जरूरी है.

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Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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