खातेगांव9 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
खातेगांव। मंडी में ताश खेलते मंडी हम्माल और तुलावटी।
मंडी मॉडल एक्ट के विरोध में 25 सितंबर से अधिकारी- कर्मचारियों की हड़ताल सोमवार को कृषि मंत्री के आश्वासन बाद दूसरी बार स्थगित हो गई है। मांगें पूरी नहीं होने पर पहले अधिकारी-कर्मचारी 25 सितंबर से 1 अक्टूबर तक हड़ताल पर और बाद में 2 अक्टूबर से क्रमिक भूख हड़ताल पर चले गए थे। संयुक्त संघर्ष मोर्चा मप्र मंडी बोर्ड के पदाधिकारियों के साथ सीएम की मुलाकात और कृषि मंत्री से मिले। एक्ट में संशोधन करने के मौखिक आश्वासन के बाद प्रदेशभर के अधिकारी कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित कर दी। मंगलवार को कर्मचारी काम पर लौटे। मंडी में चहल-पहल नहीं दिखी क्योंकि मंडी टैक्स कम करने, निराश्रित शुल्क व अनुज्ञा पत्र पूरी तरह से बंद करने की मांग को लेकर मंडी के व्यापारी 24 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थे।
मंगलवार को मध्यप्रदेश सकल अनाज, दलहन, तिलहन व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोपालदास अग्रवाल के नेतृत्व में इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ के अध्यक्ष संजय अग्रवाल, भोपाल मंडी अध्यक्ष हरीश भाई, सिरोंज मंडी अध्यक्ष समीर भार्गव, उज्जैन मंडी से निमेष अग्रवाल, शैलेन्द्र बुंदेला सहित अन्य व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम शिवराजसिंह चौहान से मुलाकात की। इस दौरान मंडी टैक्स 1 रुपए 70 पैसे की जगह 50 पैसे करने और निराश्रित शुल्क व अनुज्ञा पत्र को पूरी तरह से बंद करने की मांग को प्रमुखता से रखा। इस बारे में सीएम ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया। जिसके बाद 12 दिनों से जारी व्यापारियों की हड़ताल भी मंगलवार को खत्म हो गई। बुधवार से जिले सहित प्रदेश की सभी मंडियों में अनाज की खरीदी पुनः शुरू हो जाएगी।
किसान अपनी उपज बुधवार से मंडी में ला सकते हैं
सोमवार को कर्मचारियों की और मंगलवार को व्यापारियों की हड़ताल खत्म हो गई है। किसान विक्रय हेतु अपनी उपज बुधवार से मंडी में ला सकते हैं।
– आनंद सिंह, सचिव, कृषि उपज मंडी, खातेगांव
मंडी पुन : चालू होने से किसानों को राहत मिलेगी
किसान यूनियन जिलाध्यक्ष ओम प्रकाश पटेल ने बताया कि कर्मचारियों और व्यापारियों की हड़ताल के कारण 13 दिन तक कृषि उपज मंडी बंद होने से किसानों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। मंडी में उपज नहीं बिकने और जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए मजबूरी में छोटे व्यापारियों को ओने-पोने दाम पर अपनी फसल बेचना पड़ रही थी। ऊपर से उपज का सही दाम नहीं मिल पाने के कारण किसानों को आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ा। मंडी पुनः चालू होने से किसानों को राहत मिलेगी।