मुरैना17 घंटे पहले
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बस स्टैंड परिसर में खड़ी निजी यात्री बसें।
- 20 दिन से हो रहा बसों का संचालन, लेकिन 80 फीसदी अभी भी बंद
कहने को तो विगत 20 दिन से यात्री बसों का संचालन प्रारंभ हो गया है, लेकिन 80 प्रतिशत से अधिक बसें अब भी बंद होने के कारण ड्राइवर, कंडक्टर और अन्य कर्मचारी लगभग 7 माह से बेरोजगार बैठे हुए हैं। जिन बसों का संचालन हो रहा है उन्हें भी पूरा वेतन नहीं दिया जा रहा है।
हालात यह है कि इन लोगों को अब परिवार चलाने के लिए आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शासन से अनुमति मिलने के बाद जैसे-तैसे बसों का संचालन शुरू हुआ, लेेकिन अब सवारियां नहीं मिलने से संचालकों द्वारा भी चंद बसों का संचालन किया जा रहा है। ड्राइवर व कंडक्टर को उम्मीद थी कि स्थिति पूर्व की भांति सामान्य हो जाएगी और ड्राइवर, कंडक्टर व हेल्परों को रोजगार मिल जाएगा। लेकिन हालात अभी सुधरे नहीं है। यही वजह है कि 80 प्रतिशत से अधिक बसें जो कोरोना से पूर्व शहर के बस स्टैंड से अपने गंतव्य की ओर रवाना होती थीं वह अब भी पूर्व की भांति नगर के बस स्टैंड पर खड़ी हुई हैं।
ड्राइवर राम सिंह एवं हेल्पर राजेश कुमार ने बताया कि बसों का संचालन पहले जैसा पटरी पर नहीं आने से 200 परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। मजबूरन उन्हें दूसरा काम करने मजदूरी करनी पड़ रही है। ड्राइवर राम सिंह ने बताया कि बस चलाने पर उसे रोजाना 500 रुपए मिलते थे। लेकिन बड़ी मेहनत से दूसरा काम करने पर 300 रुपए ही मिल रहे हैं। जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
रानीपुरा निवासी बस ड्राइवर ने बताया कि कुछ दिन पहले बसों का संचालन शुरू कर दिया गया। लेकिन सवारियां नहीं मिलने के कारण अधिकांश बसें खड़ी हैं। बस मालिकों द्वारा लाइन पर नहीं पहुंचाने के कारण हमारा रोजगार छिन गया है। हमें यात्रियों की संख्या बढ़ने का इंतजार है, ताकि हमें उधार लेकर घर न चलाना पड़े।