चंबल के बीहड़ में विश्व बैंक की मदद से होगी खेती (Photo-कृषि मंत्रालय)
डाकुओं की शरणस्थली रहे बीहड़ को विश्व बैंक की मदद से आर्गेनिक खेती योग्य बनाया जाएगा. चंबल नदी किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई
तोमर ने बताया कि चंबल क्षेत्र के लिए पहले भी विश्व बैंक (World Bank) के सहयोग से बीहड़ विकास परियोजना प्रस्तावित थी, लेकिन कुछ कारणों से विश्व बैंक उस पर राजी नहीं हुआ. अब नए सिरे से इसकी शुरूआत की गई है. इस परियोजना में खेती के साथ-साथ कृषि बाजारों, गोदामों व कोल्ड स्टोरेज का विकास भी होगा.
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चंबल नदी के किनारे जैविक खेती तोमर ने कहा कि क्षेत्र में चंबल नदी (Chambal River) किनारे काफी जमीन है जहां कभी खेती नहीं हुई. इसलिए यह क्षेत्र जैविक रकबे में जुड़ेगा जो बड़ी उपलब्धि होगी. जो चंबल एक्सप्रेस बनेगा, यहीं से गुजरेगा. प्रारंभिक रिपोर्ट बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक की जाएगी और आगे की बातें तय होंगी.
चंबल नदी के किनारे की जमीन पर आर्गेनिक खेती की योजना
मध्य प्रदेश में देश का सबसे ज्यादा आर्गेनिक क्षेत्रफल है, जिसे प्रमोट करने की जरूरत है. ताकि आर्गेनिक फार्मिंग (Organic farming) और आगे बढ़ सके. प्रोजेक्ट को मिशन मोड में लेकर अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम करेंगे.
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विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने का इच्छुक है. परियोजना से जुड़े जिलों में किस तरह से, कौन-सा निवेश हो सकता है, देखना होगा. विश्व बैंक के ही अधिकारी एबल लुफाफा ने कहा कि क्षेत्रीय स्तर पर भूमि इत्यादि की जो स्थितियां है, उन्हें समझते हुए प्रोजेक्ट पर विचार किया जाएगा. हम अन्य देशों का उदाहरण लेकर काम कर सकते हैं.