- Hindi News
- Local
- Mp
- : Madhya Pradesh Government Links Property Tax To Collector Guide Line Rate | MP Municipal Law Amendment Bill 2021
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भोपाल7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से प्रॉपर्टी टैक्स संपत्ति के वार्षिक भाड़ा मूल्य (एनुअल लेटिंग वैल्यू) के स्थान पर कर योग्य संपत्ति मूल्य (टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू) से तय किया जाएगा।
- सरकार ने मप्र नगरपालिक विधि संशोधन विधेयक 2021 को विधानसभा से कराया पारित
- नए वित्तीय वर्ष से कलेक्टर गाइड लाइन के बढ़ने पर कर योग्य संपत्ति मूल्य भी बढ़ जाएगा
- यदि कहीं कलेक्टर गाइडलाइन कम होती है, तो वहां पॉपर्टी टैक्स पिछले वर्ष के समान ही रहेगा
मध्य प्रदेश में अब प्रॉपर्टी टैक्स संपत्ति के वार्षिक भाड़ा मूल्य (एनुअल लेटिंग वैल्यू) के स्थान पर कर योग्य संपत्ति मूल्य (टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू) से तय किया जाएगा। कलेक्टर गाइडलाइन के रेट के आधार पर कर योग्य संपत्ति मूल्य निकाला जाएगा। दरअसल, सरकार ने पॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइड लाइन से जोड़ दिया है। इसके लिए सरकार ने मप्र नगरपालिक विधि संशोधन विधेयक 2021 को 16 मार्च को विधानसभा से पारित करा लिया है। नए नियम 1 अप्रैल से लागू हो जाएंगे।
नए नियमों के हिसाब से हर निकाय को हर वर्ष कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार एरिया का वर्गीकरण करना होगा। अगले वित्तीय वर्ष से कलेक्टर गाइड लाइन के बढ़ने पर टैक्सेबल प्राॅपर्टी वैल्यू भी बढ़ जाएगी। लेकिन संपत्ति का मूल्य पिछले वर्ष की अपेक्षा 10% से ज्यादा बढ़ता है, तो भी टैक्सेवल प्रॉपर्टी वैल्यू 10% तक ही बढ़ेगी, उससे ज्यादा नहीं। यदि कहीं कलेक्टर गाइडलाइन कम होती है, तो वहां टैक्सेबल प्रॉपर्टी वैल्यू पिछले वर्ष के समान ही रहगी यानी कम नहीं होगी। निकाय में नए शामिल होने वाले क्षेत्रों के लिए उसके पास के एरिया के हिसाब से कर योग्य संपत्ति मूल्य तय किया जाएगा।
गाइडलाइन से लिंक होने के बाद
सभी परिक्षेत्रों को समाप्त कर सीधे गाइडलाइन का एक निश्चित प्रतिशत प्राॅपर्टी टैक्स लिया जाएगा। प्रतिशत का निर्धारण नगर निगम परिषद करेगी। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि 13 वें वित्त आयोग ने प्रापर्टी टैक्स तय करने के लिए निकायों को स्वतंत्र करने की बात कही है। इसके अलावा नगरपालिक निगम अधिनियम में प्रापर्टी टैक्स से जुड़े प्रावधानों में भी बदलाव करना होगा।
आय बढ़ाने के लिए प्राॅपर्टी टैक्स में बदलाव
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के सूत्रों ने बताया कि निकायों की आय बढ़ाने के लिए प्राॅपर्टी टैक्स में बदलाव किया गया है। प्रदेश के सभी निकायों की पॉपर्टी टैक्स से सालाना आय लगभग 550 करोड़ रुपए है। नए नियम लागू होने से यह आय बढ़कर 600 करोड़ रुपए से ज्यादा होने का अनुमान है।
10 साल बाद बढ़ेगा प्राॅपर्टी टैक्स
प्रदेश में प्रॉपर्टी टैक्स 10 साल बाद बढ़ेगा। इससे पहले वर्ष 2011 में नगरीय विकास विभाग ने पॉपर्टी टैक्स की नए सिरे से गणना की थी। इसके बाद अब सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़े दिया है। यानी जब कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ेगी तो प्रॉपर्टी टैक्स भी बढ़ेगा।
कैट ने किया था विरोध
संपत्तिकर को कलेक्टरगाइड लाइन से जोड़ने का कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडियन ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध किया था। संगठन के पदाधिकािरयों ने दो माह पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भपूेंद्र सिंह को पत्र लिखा था। संगठन का कहना है कि नए नियम लागू कर अनावश्यक कर का बोझ नागरिकों एवं व्यापारियों पर डाला जा रहा है, जो गलत है। कोरोना संक्रमण काल में पहले से व्यापारियों व आम नागरिक की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में वह अतिरिक्त करों का बोझ कैसे उठा पाएगा।
कलेक्टर गाइडलाइन में प्लाट को 4 भागों में बांटा गया
रेसीडेंशियल: आरसीसी, आरबीसी, टीनशेड और कच्चा निर्माण।
कॉमर्शियल: दुकान, ऑफिस और गोदाम।
इंडस्ट्रीयल : शो रूम और मॉल के साथ प्राइवेट अस्पताल।
एग्रीकल्चर लैंड : सिंचित, असिंचित, रेसीडेंशियल डायवर्जन व कॉमर्शियल डायवर्जन।