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मुंबई8 मिनट पहले
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अयाज मेमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पिछले हफ्ते पाकिस्तान दिवस पर इमरान खान को बधाई देने के एक पत्र ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया। इस पर व्यापक चर्चा छिड़ गई कि इसके क्या निहितार्थ हो सकते हैं? भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह पत्र एक रूटीन का हिस्सा था। इसी महीने पाक आर्मी जनरल बाजवा ने कहा था कि दोनों देशों को शत्रुता कम करते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। ऐसा 5-6 साल बाद हुआ, जब एक महीने से अधिक समय तक सीमा पार से कोई गोलीबारी नहीं हुई।
मार्च की शुरुआत में पाकिस्तान की सात सदस्यीय घुड़सवारी टीम को भारत का वीजा दिया गया था।ताकि टीम नोएडा में आयोजित टेंट पेगिंग फेडरेशन वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में हिस्सा ले सके। पिछले हफ्ते टेनिस में इंडो-पाक एक्सप्रेस नाम से मशहूर रोहन बोपन्ना-ऐसाम उल हक कुरैशी करीब 7 साल बाद जोड़ी बनाकर अकापुल्को में एटीपी 500 इवेंट में खेले।
क्या यह घटनाक्रम इस उम्मीद को जगाता है कि भारत और पाक के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज शुरू हो सकती है? अगर दोनों ओर से राजनैतिक इच्छाशक्ति हो तो ऐसा संभव है। उपमहाद्वीप में क्रिकेट की लोकप्रियता की वजह से यह मुद्दा बना हुआ है। भारत-पाक क्रिकेट को 1961 में सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन 1970 में जनता सरकार वापस आने के बाद फिर से शुरू हो गया। 2004 में करगिल युद्ध के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने भारतीय टीम को पाकिस्तान का दौरा करने की मंजूरी दी थी।
2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान 2012-13 में भारत आया था। तब से आईसीसी टूर्नामेंट छोड़कर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध खत्म हो गए हैं। आतंक पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। पीएम मोदी का पीएम इमरान को खत इस बात पर प्रकाश भी डालता है। लेकिन सरकारों और राजनेताओं के लिए यह जरूरी है कि वे खेल को बड़े पैमाने पर देखें। जब भारत-पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों को जारी रखा है। कभी-कभार व्यापार भी होता है, तो फिर खेलों को भी शुरू किया जा सकता है।