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- Ayodhya Bhumi Pujan And Nirman; Who Gave Slogan Ram Lala Hum Ayege Mandir Vahi Banayege; All You Need To Know About Baba Satyanarayan Maurya
इंदौर7 मिनट पहले
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बाबा सत्यनारायण मौर्य द्वारा साथियों के साथ मिलकर बैनर के कपड़े से बनाया गया अस्थाई मंदिर।
- सत्यनारायण मौर्य (बाबा) ने अयोध्या में जगाई थी राम मंदिर निर्माण की अलख, उज्जैन में दिया था यह नारा
- पुलिस से बचते हुए अयोध्या की गली-गली लिख दिया था यह नारा और उकेरी थी प्रभु श्री राम की आकृति
- बाबा विश्वभर में लगाते हैं भगवान श्रीराम पर केंद्रित प्रदर्शनी, मंदिर स्थल पर प्रदर्शनी लगाने का न्यौता मिला था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकंड पर शुभ मुहूर्त में राम मंदिर की नींव रखी। इसके साथ ही करीब 500 साल से मंदिर बनने का सपना देख रहे हर रामभक्त की मुराद भी पूरी हो गई। मंदिर बनने का सफर बहुत लंबा रहा। इसमें कई रामभक्तों ने अपनी जान दे दी तो कईयों अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। एक ऐसे ही कार सेवक हैं बाबा सत्यनारायाण मौर्य। छात्र जीवन में ही बाबा आंदोलन से जुड़ गए और अयोध्या की गलियों में राम मंदिर निर्माण की अलख जगाने लगे। गेरू की मदद से गली, मोहल्लों की हर दीवार पर जोश से ओत-प्रोत नारे नजर आने लगे। इन्हीं में से एक नारा था रामलाल हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। इस नारे ने हर रामभक्त में एक नई उर्जा का संचार किया।

बाबा सत्यनारायण मौर्य देखते ही देखते आकृति निर्मित कर देते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय कलाकार सत्यनारायण मौर्य ने बताया कि उज्जैन में पढ़ाई के दौरान आंदोलन से जुड़ने के कारण मैं यहां दीवारों पर नारे उकेरने लगा। 1990 में दोस्तों के साथ अयोध्या की ओर रुख किया। यहां भी दीवारों पर नारे लिखने लगा। मेरे लिखे नारे जब विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख अशोक सिंघल ने पढ़े तो उन्होंने मुझे बुलाया। मैंने उन्हें अपनी लिखी कुछ और कविताएं, नारे दिखाए तो उन्होंने दिल्ली भेज कर इन्हें रिकार्ड करवाने को कहा। ये नारे बाद में मंच पर गूंजने लगे। इसके बाद उन्हें धीरे-धीरे मंच प्रमुख घोषित कर दिया गया। उज्जैन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बाबा ने मंच से ही रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे.. नारा दिया था।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाबा मौर्य।

बाबा बोले – उज्जैन से पुलिस से बचकर अयोध्या पहुंचा, यहां से सीबीआई से बचकर मुंबई पहुंच गया।
रक्त देंगे, प्राण देंगे मंदिर का निर्माण करेंगे.. जैसे कई नारे लिखे
बाबा ने कहा कि एक गीत था सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे। इसे गाते समय कई पंक्तियां जुड़ी, लेकिन इसमें एक पंक्ति.. राम लाल हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे… खूब चला। रक्त देंगे, प्राण देंगे मंदिर का निर्माण करेंगे.. जैसे कई नारे दिए। मंदिर बनने की बात पर कहा – हम एक सपना देखते हैं उसे पाने के बाद कितने खुश होते हैं। उसी प्रकार मंदिर एक जीवन का सपना नहीं है, कई जीवन का सपना है। मैंने पूरे राम जन्मभूमि इतिहास की प्रदर्शनी बनाई है। जो स्थाई रूप से लगने वाली है। इसमें जितने लोगों ने काम किया है उन सभी का उल्लेख है। उन्होंने बताया कि इसमें हुए 76 युद्ध में साढ़े 4 लाख लाेग मारे गए थे। कई लोगों ने पूरा जीवन अर्पित कर दिया। मंदिर समिति की ओर से प्रदर्शनी लगाने का न्यौता मिला था, लेकिन जगह कम होने की वजह से इसे बाद में स्थगित कर दिया गया।

बीएचपी प्रमुख अशोक सिंघल के साथ माैर्य।
बैनर के कपड़े से बनाया था रामलला का अस्थाई मंदिर
मौर्य ने बताया कि जब ढांचा गिराया गया, उसके पहले से मैं वहां पेंटिंग के लिए मौजूद था। मैंने पूरे अयोध्या में बहुत सारे बैनर लगाए थे। उस समय 4 फीट के पने का कपड़ा बहुत कम मिल पाता था, इसलिए मैं उज्जैन से तीन-चार थान कपड़ा लेकर गया था। पीले रंग का कपड़ा तो मैंने बैनर बनाने में उपयोग कर लिया था। हमें नहीं पता था कि 6 दिसंबर को ढांचा गिराया जाएगा। ढांचा गिरने के बाद जब सरकार ने नए निर्माण पर रोक लगा दी तो कार सेवकों ने कहा अब क्या करें। इसके बाद हमने रामजी को उसी मलबे में तख्त रखकर बिठा दिया। इसके बाद पत्थर बराबर किए और लकड़ी गाड़कर बैनर वाले गुलाबी कपड़े से अस्थाई मंदिर बना दिया। इसके बाद हमें दीवार बनाने का मौका मिला तो हमने हाथ से ही ईंट रखना शुरू कर दिया। 8 तारीख को केंद्रीय पुलिस आ गई। सभी बड़े नेता भूमिगत हो गए।

राम मंदिर निर्माण के लिए गलियों में अलख जगाते बाबा मौर्य।
प्रोफेसर बनने निकले बाबा बन गए थे कार सेवक
राजगढ़ के रहने वाले मौर्य ने बताया कि मैंने एम कॉम किया, एमए गोल्ड मेडलिस्ट रहा। पिता जी टीचर थे, फिर भाई और मेरी दोनों बहनें भी टीचर बनीं। मैं भी टीचर बनने निकला था। प्रोफेसर बनने, बैंक में जाने के बजाय परमात्मा ने मुझे कार सेवक बनाकर अयोध्या पहुंचा दिया। जब मैं वहां हाफ पैंट और बनियान में घूमता था, और लोगों को पता चलता था कि मैं गोल्ड मेडलिस्ट हूं तो वे हंसते थे। उन्होंने बताया कि हमने जो अस्थाई मंदिर उस समय बनाया था वह आज तक बना हुआ है। ढांचा गिराए जाने के बाद मैंने अपनी दाड़ी कटवा ली थी।

कार सेवकों में नारे लिखकर जोश भरते रहे बाबा।
पुलिस के डर के बीच उकेरते थे आकृति
मौर्य के मुताबिक जब तक अयोध्या में रहे, तब तक लगातार दीवारों पर झांकी, आकृति और नारे से दीवारों को रंगीन करते रहे। दीवार पर आकृति बनाते समय और नारे लिखते समय यह ध्यान रखना होता था कि कहीं पुलिस तो नहीं आ रही है। इसी खतरे के कारण मैं जल्द से जल्द आकृति बनाने लगा। उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर को जिस मंच पर मैं था वहां, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी सहित कई बड़े नेता थे। मैं ही उसमें एक ऐसा था, जिसे कोई नहीं जानता था। उन्होंने कहा कि प्रसिद्धि नहीं होना ही मेरे बचने का कारण था। क्योंकि उस दिन मंच का संचालन मैंने किया था। पूरे अयोध्या में पेंटिंग मैंने बनाई थी। आंदोलन का प्रांत प्रचारक मैं था। उस समय हमने रामचरण पादुका की कई कैसेट आंदोलन के लिए बनाई थी। उस समय जो 40 लोग पकड़ाए वे सभी नेता बन गए। मेरा नाम नहीं था।
अमेरिका में 57 बार लगाई पेंटिंग
मौर्य ने बताया कि मैंने 57 बार राम की प्रदर्शनी अमेरिका में लगाई है। वेस्टइंडीज में भी मैंने प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने बताया कि अशोक सिंघल के साथ ही 7 साल प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम किया। मप्र चुनाव प्रचार में मैं मुंबई से आता था। पांच साल तक टीवी में भी काम किया। दुनियाभर में जाने के कारण अब समय नहीं मिल पाता। परमात्मा के काम के लिए पैदा हुआ हूं, नाम के लिए नहीं। मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यही है कि प्रधानमंत्री नाम से जानते हैं। कई स्टेट के मुख्यमंत्री मुझे सम्मान देते हैं। विदेशों में राष्ट्राध्यक्ष मुझसे मिलते हैं।
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