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- When The Collectorate Arrived To Take The Injection, It Was Found From The List That The Injection Had Already Been Given In The Name Of The Patient, The Ruckus Could Have Been Received.
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ग्वालियर34 मिनट पहले
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इंजेक्शन के लिए जमीन पर लेटा प�
- ड्रग इंस्पेक्टर बताने को तैयार नहीं कि उनके यहां से कौन ले गया इंजेक्शन
- कलेक्टोरेट में लगी लिस्ट में 13वें नंबर पर बेदीराम शर्मा के नाम से दिया जा चुका था इंजेक्शन
ग्वालियर में रेमडेसिविर की किल्लत के बीच उसकी कालाबाजारी भी बढ़ती जा रही है। हाल ही में एक अनोखा मामला सामने आया है। अस्पताल में भर्ती कोविड पेशेंट का बेटा जब इंजेक्शन लेने कलेक्टोरेट पहुंचा तो वहां लिस्ट लगी थी। जिसमें इंजेक्शन मिलने वालों के नाम लिखो थे।13वें नंबर पर उनको भी इंजेक्शन मिलना लिखा था। पर उसे इंजेक्शन मिला ही नहीं, बल्की इंजेक्शन न मिलने के कारण पेशेंट की हालत और भी खराब हो गई। घटना 27 अप्रैल ग्वालियर की है। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि हॉस्पिटल को इंजेक्शन दे दिया गया है। हॉस्पिटल संचालक का कहना था कि उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला है। इस पर पेशेंट के अटेंडर ने हंगामा खड़ा खड़ दिया। इसके बाद वहां पुलिस बुलानी पड़ी तब जाकर उन्हें इंजेक्शन मिल सका, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हुआ कि जो इंजेक्शन उनके नाम से दिया जा चुका है वह कहां गया।
ग्वालियर निवासी राजेश शर्मा के पिता बेदीराम शर्मा कोविड पेशेंट हैं। अभी वह लाइफ केयर लाइफ केयर हॉस्पिटल में भर्ती है। 25 को उनकी पल्स 80 नीचे आ रही थी। इस पर डॉक्टर ने उनको तत्काल रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लिखा था। इस पर राजेश ने हॉस्पिटल से इंजेक्शन के लिए आवेदन कलेक्टोरेट पहुंचाया था। साथ ही एक कॉपी लेकर वह खुद भी कलेक्टोरेट पहुंचा था। इसके बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला। 27 अप्रैल को जब राजेश कलेक्टोरेट में ड्रग इंस्पेक्टर के पास पहुंचे तो वहां ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल नहीं मिले, लेकिन वहां एक लिस्ट चस्पा थी। लिस्ट में उनके नाम लिखे थे जिनको एक दिन पहले ही रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए गए हैं। लिस्ट में उनका भी नाम था, लेकिन राजेश का कहना था कि उन्हें इंजेक्शन मिला ही नहीं। यही कारण था कि उनके पेशेंट की हालत बिगड़ी और वेंटीलेटर पर ले जाना पड़ा।
ड्रग इंस्पेक्टर और हॉस्पिटल के बीच इंजेक्शन गायब
कलेक्टोरेट में 3 घंटे तक परेशान होने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर एक अन्य कमरे में चाय की चुस्की लेते मिले। जबकि परेशान लोग उनको आधा सैकड़ा से ज्यादा कॉल लगा चुके थे। राजेश की मदद के लिए उनके रिश्तेदार हिमांशु शर्मा वहां पहुंचे। ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल का कहना था कि उन्होंने रिक्वॉयरमेंट के आधार लाइफ केयर हॉस्पिटल को इंजेक्शन दे दिया है, लेकिन हॉस्पिटल संचालक अतुल श्रीवास्तव का कहना था कि उनको इंजेक्शन नहीं मिला है। जब ड्रग इंस्पेक्टर से रजिस्टर दिखाने के लिए कहा कि उन्होंने किसे इंजेक्शन दिया है तो वह तैयार नहीं हुए।
हंगामा किया तो मिल गया इंजेक्शन
जब पेशेंट के परिजन ने कलेक्टोरेट में हंगामा खड़ा किया तो ड्रग इंस्पेक्टर घबरा गए और पुलिस को बुला लिया। पुलिस ने किसी तरह हंगामा को शांत किया। यहां आनन फानन में ड्रग इंस्पेक्टर ने राजेश शर्मा को उनके नाम का इंजेक्शन दिया, लेकिन उस सवाल का जवाब किसी को नहीं मिला कि एक दिन पहले किसे इंजेक्शन देकर बेदीराम शर्मा के नाम पर चढ़ा दिया गया था। यह पहला मौका नहीं है इस तरह के मामले आए दिन हो रहे हैं और रोज कलेक्टोरेट में इंजेक्शन को लेकर हंगामा हो रहा है।