जबलपुर में रोज 300 से 350 लोगों की मौत हो रही है
हर अस्पताल कोरोना रोगियों (Corona patients) से फुल है. हालात ये हैं कि अस्पताल वाले अब गंभीर मरीजों को एडमिट (Admit) करने से मना कर रहे हैं
कोरोना संक्रमण काल में श्मशान घाट चिताओं से सजे हुए हैं. हर प्रमुख श्मशान घाट में पलक झपकते ही मानो एक अर्थी आ रही है. बेशक ये मौतें कोरोना से तो नहीं है लेकिन अचानक मरने वालों की तादाद बढ़ने से हर कोई चिंतित है. एक आंकलन के मुताबिक शहर में इन दिनों रोजाना 300 से 350 लोगों की मौत हो रही है.
नहीं मिल रही जगह
तस्वीरें बताती हैं कि हालात बेहद खराब हो चले हैं.कोरोना संक्रमण का साया इस कदर कहर बरपा रहा है कि अब अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है. कुछ बदनसीबों को तो अंतिम संस्कार के लिए छांव भी नसीब नहीं हो रही. पिछले 15 दिन से शहर के हालात कुछ ऐसे ही हैं. हम बात जबलपुर जिले की कर रहे हैं जहां रोजाना मौत का इतना बड़ा आंकड़ा दर्ज हो रहा है कि श्मशान घाटों में शव जलाने के लिए जगह तक नहीं बच पा रही है.14 श्मशान घाट
जबलपुर जिले में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 14 श्मशान घाट हैं. इनमें चार बड़े घाट हैं. इनमें पिछले 15 दिन में कुल इतने शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.
>> ग्वारीघाट मुक्तिधाम में 1 सितंबर से 16 सितंबर तक कुल 245 शवों का अंतिम संस्कार.
>> करिया पाथर मुक्तिधाम में 1 सितंबर से 16 सितंबर तक 175 शवों का अंतिम संस्कार.
>>गुप्तेश्वर मुक्तिधाम में 1 सितंबर से 16 सितंबर तक शवों का अंतिम संस्कार.
>>रानीताल मुक्तिधाम में 1 सितंबर से 16 सितंबर तक 216 शवों का अंतिम संस्कार.
आंकड़े बताते हैं कि 15 दिन में शहर के स्वास्थ्य हालात कैसे रहे. अमूमन हर अस्पताल कोरोना रोगियों से फुल है.हालात ये हैं कि अस्पताल वाले अब गंभीर मरीजों को एडमिट करने से मना कर रहे हैं. ऐसे में कोरोना के अलावा अन्य किसी बीमारी से पीड़ित मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऑक्सीजन की कमी से भी मरीज दम तोड़ रहे हैं. पूरे मामले में जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी का चौंकाने वाला बयान सामने आया है. उनका कहना है कि बेशक मौत का आंकड़ा तो बढ़ा है लेकिन श्मशान घाटों में होने वाले अंतिम संस्कार की संख्या बढ़ने की मूल वजह अन्य जिलों के मरीजों की मौत है, जिनके परिवार उनका अंतिम संस्कार जबलपुर में कर रहे हैं.