A drama giving a message of satire and social reform at the social heights and the dark city of Charabatu Raja | सामाजिक ऊंच-नीच पर व्यंग्य व सामाजिक सुधार का संदेश देता नाटक अंधेर नगरी चरबटु राजा

A drama giving a message of satire and social reform at the social heights and the dark city of Charabatu Raja | सामाजिक ऊंच-नीच पर व्यंग्य व सामाजिक सुधार का संदेश देता नाटक अंधेर नगरी चरबटु राजा


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उज्जैन24 मिनट पहले

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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नाट्य मंचन करते कलाकार।

  • डिजिटल नाट्य मंचन: सिंधी भाषा में रूपांतरित नाटक के दूसरे भाग का लाइव प्रसारण

सिंधु प्रवाह अकादमी द्वारा आयोजित किए जा रहे डिजिटल नाट्य मंचन के अंतर्गत रविवार शाम महान नाटकार भारतेंदु हरीशचंद्र के सुप्रसिद्ध नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का सिंधी रूपांतरण अंधेर नगरी चरबटु राजा के द्वितीय भाग लाइव प्रसारण हुआ। जिसमें कलाकारों ने सामाजिक ऊंच-नीच और व्यवस्थाओं में फैली बुराइयों को व्यंग्य के माध्यम से मंचित किया। साथ ही सामाजिक सुधार का संदेश भी दिया। संस्था के सहसचिव डॉ. किशोर जामनानी ने बताया नाटक में सिंधी रूपांतरण भगवान बाबानी (भोपाल), संगीत गुरमुख वासवानी (पुणे) और नृत्य कोरियोग्राफी डॉ. पल्लवी किशन द्वारा की गई। निर्देशन कुमार किशन ने किया। नाटक में कुमार किशन, डॉ. पल्लवी किशन, विजय भागचंदानी, सिद्धार्थ भागचंदानी, लोकेश भागचंदानी, गिरीश परसवानी, शांतनु भागचंदानी, मिनी सुखवानी, प्रकाश देशमुख, रोहित सामदानी, गजेंद्र नागर, सूर्यदेव ओल्हन, जाह्नवी तेलंग, सलोनी मालाकार, सुहानी राजपूत, अनुष्का मालवीय आदि कलाकारों ने अभिनय किया।

फंदा बड़ा बना तो मोटे व्यक्ति को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म

नाटक में एक अनजान नगर में एक संत और उसके दो चेले प्रवेश करते हैं। संत को जब यह पता चलता है कि यहां हर वस्तु की कीमत एक जैसी है और यहां का राजा मूर्ख है तो वह उस नगर को छोड़कर चले जाता है। किंतु संत का एक लालची चेला गोरधनदास जिद करके वहीं रुक जाता है। नगर में एक बनिये की दीवार गिर जाने से किसी बूढ़ी औरत की बकरी दबकर मर जाती है और वह न्याय के लिए राजा से गुहार करती है।

राजा द्वारा दीवार के मालिक, कारीगर, चूना बनाने वाला, चूने में पानी मिलाने वाला भिश्ती, भिश्ती को मशक बेचने वाला कसाई, कसाई को बड़ी भेड़ बेचने वाले गडरिया और आखिरी में शहर की सुरक्षा कर रहे कोतवाल को बुलाता है। आखिरी में बकरी के मरने के लिए कोतवाल को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दिया जाता है लेकिन फांसी का फंदा बड़ा बन जाता है तो राजा के हुक्म से कोतवाल की जगह किसी मोटे व्यक्ति को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दिया जाता है।

महंत का चेला गोरधनदास मोटा होने के कारण पकड़ाई में आ जाता है। महंत को जब यह बात पता चलती है तो वह अपने चेले को बचाने के लिए राजा को मूर्ख बनाकर फांसी पर चढ़ने के लिए प्रेरित करता है। अंतत: राजा स्वयं फांसी पर चढ़ जाता है।



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