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इंदौर9 घंटे पहले
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चंदा और प्रिया अब अपने पैरों पर खड़ी होकर काफी खुश हैं।
9 साल पहले मेरी शादी दीपक से हुई थी। दीपक शादी के बाद से ही परेशान करने लगा था। पहले तो कम करता था, लेकिन धीरे-धीरे वह ज्यादा प्रताड़ित करने लगा। मैंने जब भी समझाने की कोशिश की तो उसने शराब पीकर प्रताड़ित किया। दो बच्चों का मुंह देखकर सब सहन करती रही, लेकिन फिर एक दिन प्रताड़ना से तंग आकर पुलिस के पास पहुंची। मैंने कहा कि मैं पति के साथ नहीं रहना चाहती, लेकिन मजबूरी यह है कि मेरे पास कोई काम नहीं है। इस पर पुलिस ने मुझे अच्छी जगह काम दिलवाया। मैं अब ना खुद किसी पर बोझ बनना चाहती हूं, ना ही बच्चों को बनने दूंगी। यह कहानी है प्रिया की। प्रिया जैसी कई परेशान महिलाओं को पुलिस ने मां अहिल्या स्वावलंबन डेस्क के तहत काम दिलवाया है।

चंदा को डीआईजी ने जॉब पत्र सौंपा।
डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्र ने सोमवार को एक नई डेस्क का शुभारंभ किया है, जिसे महिला स्वावलंबन डेस्क का नाम दिया गया है। यहां पर आने वाली वह पीड़ित महिला जो कि रोजगार के लिए परेशान होती है और पति के साथ रहने के बाद भी वह अपने जीवन यापन के लिए कई समस्याओं से जूझती है, उनकी समस्या को हल करते हुए उन्हें रोजगार दिलवाने की कोशिश की जाएगी। मिश्र ने बताया कि कई महिलाएं ऐसी आती है जो कि पति के साथ छोड़ने के बाद वह अपने जीवन यापन के लिए परेशान रहती हैं। इस डेस्क के जरिए कई महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। रोजगार मिलने के बाद महिलाओं ने कहा कि जब वह घरेलू हिंसा से पीड़ित थी तो उन्हें पति द्वारा छोड़ दिया गया था, जिसके बाद वह अब अपने पैरों पर खड़ी हो गई है। उन्हें गुजर-बसर करने के लिए अब किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा और वह खुद स्वावलंबी बन चुकी हैं। पूरे प्रदेश में पहली बार इस तरह की पहल की गई है, जहां पीड़ित महिलाओं को न्याय के साथ रोजगार मिल रहा है।
चंदा ने बताया कि पारिवारिक प्रताड़ना के बाद बहन की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। बेटी को रखने की समस्या थी। क्योंकि हमारी भी कंडीशन बहुत अच्छी नहीं थी। मजबूरी में हम उन्हें घर तो लेकर आए, लेकिन गुजर-बसर की समस्या आने लगी। लॉकडाउन के कारण कोई काम देने को तैयार नहीं था। इस पर हम पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने हमें कई जगह पर इंटरव्यू के लिए भेजा। मेरा सिलेक्शन टीआई मॉल में हुआ। खुद के पैरों पर खड़ी होकर बहुत खुश हूं।
एएसपी मनीषा पाठक सोनी ने बताया कि हमारी सोच थी कि महिलाओं के साथ अपराध जारी नहीं रहे। उन्हें कानूनी न्याय के साथ सामाजिक और आर्थिक न्याय भी मिले। आईजी ने निरीक्षण में भी सभी महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने को कहा था। महिला थाना प्रभारी ने कुछ बिजनेस हाउसेस, रोटरी क्लब से बात की और इसमें कुछ महिलाओं को जॉब भी मिल गया है। आंकड़ाें की बात करें तो सालभर में एक हजार से ज्यादा शिकायतें महिला थाने में आती हैं। इसमें से 200 से 250 मामले में अपराध पंजीबद्ध होते हैं। खुद के पैर पर खड़े नहीं हो पाने के कारण पीड़ित महिला अपने आप को मजबूर पाती है। यह जॉब दिलाने की एजेंसी नहीं है, लेकिन हमारी कोशिश होगी की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएं।

प्रताड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नई डेस्क शुरू की गई।
इन्हें मिला रोजगार चंदा : भूरी टेकरी महिला थाने में एक नाबालिग बालिका के शोषण का मामला दर्ज हुआ था। चंदा उसकी मौसी है, जो उसका पालन-पोषण करती है। उसके पास कोई रोजगार नहीं था। महिला को टीआई मॉल में पार्किंग के शेयर के रूप में काम दिलवाया गया। प्रिया : पति बहुत परेशान करता था, वह घरेलू हिंसा से पीड़ित थी, पति के छोड़ने पर दो बच्चों और खुद का पेट पालने के लिए उसके पास कोई साधन नहीं था। इस पर उसे आशा कनफेक्शनरी सांवेर रोड में काम दिलवाया। भारती : पति नहीं है, ससुराल वालों का व्यवहार ठीक नहीं था। तीन बच्चों के साथ परेशान हो रही भारती को नोटिस फूड सांवेर रोड में काम दिलवाया गया।