हमीदिया में कोरोना जांच में खेल: एक ही मरीज की कई बार जांच, 3600 मरीजों का साढ़े 4 करोड़ रु. का बनाया बिल; सरकार ने बैठाई जांच, पूछा- जांच का यह कौन सा तरीका अपनाया

हमीदिया में कोरोना जांच में खेल: एक ही मरीज की कई बार जांच, 3600 मरीजों का साढ़े 4 करोड़ रु. का बनाया बिल; सरकार ने बैठाई जांच, पूछा- जांच का यह कौन सा तरीका अपनाया


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भोपाल/आनंद पंवार12 मिनट पहले

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  • यहां उठ रहा सवाल- आयुष्मान की जांच के टेंडर में चयनित दो लैब को साप्ताहिक रोस्टर से दे दिया कोरोना मरीजों की पैथोलॉजी जांच का काम

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में कोरोना मरीजों की बार-बार जांच कराने के मामले में शासन ने जांच शुरू कर दी है। अस्पताल में मई 2020 से जनवरी 2021 तक करीब 3600 मरीज भर्ती हुए। इन मरीजों की बीमारी की स्थिति जानने के लिए कई बार जांचें की गईं। एक मरीज की 26 प्रकार की जांच कई बार की गई।

यही कारण है, अस्पताल में भर्ती 3600 मरीजों की जांच दो निजी लैब का बिल करीब साढ़े चार करोड़ रुपए पहुंच गया। इसमें से एक को करीब 60 लाख रुपए के बिल का भुगतान आयुष्मान योजना के मद से कर दिया। बाकी के करीब 4 करोड़ के भुगतान के लिए वरिष्ठ कार्यालय को लिखा, तो चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बार-बार जांच करने को लेकर सवाल पूछ लिया कि जांच करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई। मामले में डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) जांच कर रहा है।

इतनी जांचें फिर भी 409 मौतें

हमीदिया अस्पताल में भर्ती करीब 3600 कोरोना मरीजों में से अब तक 409 मरीजों की मौत हो चुकी है।

इसलिए भी उठ रहे सवाल

आयुष्मान योजना में मरीजों को नि:शुल्क इलाज और जांच उपलब्ध कराने के लिए हमीदिया अस्पताल में अक्टूबर-नवंबर 2019 में पैथोलॉजी जांच के लिए टेंडर बुलाए गए। इसमें करीब 300 ऐसी जांच के लिए रेट मांगे गए। इसमें दो निजी लैब समाधान और रैनबेक्सी पैथोलॉजी के अलग-अलग जांच के रेट न्यूनतम आए, जिनको अस्पताल ने जनवरी 2020 में वर्क ऑर्डर दे दिया।

साप्ताहिक रोस्टर से किया दोनों लैब ने काम

आयुष्मान योजना में जांच के लिए चयनित दोनों ही लैब को मार्च 2020 में बिना टेंडर के कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच का भी काम सौंप दे दिया। इसके तहत दोनों ही लैब को 7 नई जांच का काम भी दे दिया गया। इसमें आईएल-6 और सीरम लेक्टेड समेत अन्य जांच शामिल हैं। आईएल-6 जांच का ही रेट 1900 रुपए प्रति जांच दिया गया। खास है, दोनों ही लैब को साप्ताहिक रोस्टर बना कर जांच कराई गई। इसके मेडिकल कॉलेज के लिए तत्कालीन डीन की तरफ से आदेश जारी करने की बात की जा रही है। हालांकि जिम्मेदारों का कहना है कि दोनों फर्मों को सीजीएचएस के तय रेट से कम रेट देने पर काम दिया गया था।

इस तरह बार-बार की जांच

हमीदिया अस्पताल आने वाले मरीजों के रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आने या फिर रिपोर्ट निगेटिव होने के बावजूद लक्षण होने पर उनके ब्लड टेस्ट से संबंधित 26 प्रकार की जांच करना तय किया गया। इसके अलावा सीटी स्कैन, एक्सरे अलग से। वहीं, हल्के लक्षण के बाद मरीजों को डिस्चार्ज करते समय दोबारा उनकी खून की 26 प्रकार जांच को दोबारा गया। इस तरह यह जांचें कई भर्ती गंभीर मरीजों की 11 से 12 बार बार की गई।

ये बोले जिम्मेदार-

डीएमई को जानकारी उपलब्ध करा दी

मामले में गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अरुणा कुमार का कहना है कि ‘मामले में शासन ने जांच के आदेश दिए हैं। डीएमई ने प्रक्रिया के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसे अस्पताल अधीक्षक ने उनको उपलब्ध करा दिया है। उनके द्वारा ही रिपोर्ट बनाई जा रही है।’

मुझे जानकारी नहीं

वहीं, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया के मुताबिक ‘मुझे जांच के संबंध में जानकारी नहीं है। अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने वाली जांचों के लिए टेंडर निकाले गए थे, जिनके एल-वन आने वाली लैब को काम दिया गया। बार बार जांच करने के सवाल का जवाब इलाज करने वाले डॉक्टर ही दे पाएंगे।’

आवश्यकता के अनुसार जांच की गई

हमीदिया अस्पताल में पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेंद्र दवे का कहना है कि ‘हमीदिया में ज्यादातर गंभीर मरीज भर्ती हुए। इनकी मॉनीटरिंग के लिए अलग-अलग डॉक्टरों के पैनल बने। जिन्होंने मरीजों की आवश्यकता के अनुसार जांच कराई’।

डॉ. एके श्रीवास्तव, तत्कालीन डीन, गांधी मेडिकल कॉलेज से सीधी बात

भास्कर: आयुष्मान की जांच के लिए तय फर्म को कोरोना जांच का काम कैसे दे दिया?

जवाब : अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने या न होने वाली जांच के लिए टेंडर किए गए थे। हमने कोरोना के समय दोनों फर्म से रेट मांगे थे। न्यूनतम रेट पर काम दिया गया। यह सभी विभागाध्यक्ष की सहमति से निर्णय लिया। गड़बड़ी के आरोप बेबुनियाद हैं।

भास्कर: दोनों फर्म को साप्ताहिक रोस्टर से काम किस नियम से तय किया गया?

जवाब : कोरोना संक्रमण को देखते हुए साप्ताहिक रोस्टर अनुसार काम देने का निर्णय लिया गया था। इसमें भी कॉलेज की कमेटी से स्वीकृति ली थी।

हमने अस्पताल के निर्देशों पर काम किया

– केके प्रजापति, को-डायरेक्टर, समाधान लैब से सीधी बात

भास्कर: आपको सीधे कोरोना जांच का काम कैसे मिलो?

जवाब : हमने हमीदिया अस्पताल की तरफ से जो आदेश मिले। उसका पालन किया।

भास्कर: दो फर्मों को साप्ताहिक रोस्टर से किसने काम बांटा था?

जवाब : यह भी अस्पताल प्रबंधन की तरफ से तय किया गया।



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