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होशंगाबाद4 मिनट पहले
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फाइल फोटो।
जिले के किसानाें काे अब कंबाइन हार्वेस्टर ऑपरेटर (हार्वेस्टर ड्राइवर) के लिए पंजाब-हरियाणा पर निर्भर नहीं रहना हाेगा। जिले ने कंबाइन हार्वेस्टर के ऑपरेटर काे जिले में ही तैयार कर लिया है। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नवीबाग भाेपाल में एक माह का आवासीय प्रशिक्षण संभाग के बेराेजगारों को दिलाया है। अभी तक 100 लोगों ने यह पाठयक्रम पूरा कर लिया है। जिले के 10वीं पास अावेदक काे कृषि अभियांत्रिकी भाेपाल में चयनित आवेदकाें काे हार्वेस्टर मशीन चलाने का निशुल्क प्रशिक्षण दिया गया।
लाॅकडाउन में हाे गई थी समस्या
पिछले साल लाॅकडाउन के दाैरान खेतों में खड़ी फसल, कटाई न होने से खरीदी-बिक्री पर पड़ रहे असर को देखते हुए सरकार ने मशीनाें की आवाजाही पर प्रतिबंध हटाया पर पंजाब से ऑपरेटर नहीं आए थे। इसके बाद जिले से ही ऑपरेटर तैयार करने का निर्णय लिया है। कृषि अभियांत्रिकी कौशल विकास केंद्र में बेरोजगार युवकों को ट्रैक्टर मैकेनिक के साथ कंबाइन हार्वेस्टर ऑपेटर की ट्रेनिंग दी।
इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनर (पीपीपी) के रूप में एक निजी कंपनी ने ट्रेनिंग कार्य नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉउंसिल के तहत व एग्रीकल्चर स्किल्स काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा तय मानकों अनुसार दिया गया। जिले में बहुत से किसानों ने कंबाइन हार्वेस्टर क्रय कर रखा है, लेकिन इन्हें ऑपरेट करने पंजाब, हरियाणा, से ऑपरेटर बुलाने पड़ते हैं।
दक्ष कर्मचारियों के अभाव में उन्हें मनमुताबिक वेतन भी देना पड़ता है, लेकिन अब ट्रेनिंग होने से जिले के युवा किसान स्वयं हार्वेस्टर चलना सीखकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएंगे। पिछली बार कोरोना के कारण कई कंबाइन हार्वेस्टर पर अन्य राज्य के श्रमिक नहीं आ पाए और किसानों को फसल काटने में परेशानी भी हुई थी।
मजदूर कम मिलने से हार्वेस्टर से कटाई
जिलें में कृषि श्रमिक मिलना कम हुए हैं और मजदूरी भी बढ़ गई है। इस वजह से खेती में मशीनों पर निर्भरता बढ़ी है। गेहूं और धान के बड़े हिस्से की कटाई अब कंबाइन हार्वेस्टर से ही होती है। धीरे-धीरे चना, मूंग और सोयाबीन की कटाई भी इससे होने लगी है। जिले में 1 हजार हार्वेस्टर चलते हैं। इनमें अधिकांश पंजाब और हरियाणा से आते हैं। संचालकों को पहले से बुकिंग करनी पड़ती है।
^राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत मशीन और प्रशिक्षक के लिए हार्वेस्टर की कंपनियां से अनुबंध किया है। प्रशिक्षण मिलने के बाद न सिर्फ रोजगार मिलेगा बल्कि आत्मनिर्भर भी बन जाएंगे।
जितेंद्र सिंह, उपसंचालक