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इंदौर16 मिनट पहले
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फाइल फोटो
एमवाय अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मरीज के दिमाग की नस फटने के बाद उसका इलाज करने के बजाए उसे कोविड अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। डॉक्टरों को मरीज के परिवार वाले कहते रहे कि उनके पेशेंट को कोविड नहीं है लेकिन डॉक्टरों ने उनकी एक नहीं सुनी। परिवार का कहना था कि इससे अच्छा है कि घर ले जाकर बिना इलाज के उनकी सेवा की जाए।
खंडवा रोड नर्मदानगर के रहने वाले 65 साल के एडू पगारे को दो दिन पहले दिमाग की नस फटने के चलते गुर्जर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार वालों का कहना है कि यहां के डॉक्टरों ने घर ले जाने का कहते हुए बताया कि या तो इन्हें घर ले जाकर इनकी सेवा करो या फिर एमवाय ले जाओ। परिवार वालों ने एमवाय अस्पताल ले जाना तय किया। यहां जैसे ही बुजुर्ग को ले जाया गया तो डॉक्टरों ने सीधे कोविड-19 अस्पताल एमटीएच कंपाउंड में पहुंचा दिया। यहां के डॉक्टर बोले कि वापस एमवाय जाओ और उस डॉक्टर से हमारी बात कराओ, जिसने ऐसे सीरियस मरीज को बिना सोचे-समझे कोविड अस्पताल पहुंचा दिया, जबकि इस मरीज का कोरोना से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि परिवार वालों ने कोविड अस्पताल में ही बुजुर्ग को भर्ती कराया है। फिलहाल उनकी पल्स रुक गई है। परिवार वालों का कहना है कि डॉक्टरों के चक्कर में पड़ने के बजाय अब अस्पताल से छुट्टी कराकर घर ही ले जाकर उनकी सेवा करेंगे।
परिवार के कमल का कहना है कि उनके पिता को कोरोना नहीं था। वो भले-चंगे थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे। गुर्जर अस्पताल में उनका इलाज हुआ भी, लेकिन जब डॉक्टर ने जवाब दे दिया तो उन्हें बड़े अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर चाहते तो तुरंत इलाज शुरू कर सकते थे। पिता अभी भी एमटीएच में भर्ती हैं और हालत बिगड़ती जा रही है।