प्लेइंग-11 से बाहर होने पर रो पड़े थे पृथ्वी शॉ: मुंबई के ओपनर ने कहा- ऐसा लगा मैं किसी काम नहीं हूं; इसके बाद खुद से किया जमकर मेहनत करने का वादा

प्लेइंग-11 से बाहर होने पर रो पड़े थे पृथ्वी शॉ: मुंबई के ओपनर ने कहा- ऐसा लगा मैं किसी काम नहीं हूं; इसके बाद खुद से किया जमकर मेहनत करने का वादा


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अहमदाबाद12 मिनट पहले

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बैट शरीर से दूर रहने के कारण शॉ बार-बार बोल्ड हो रहे थे।

बैट शरीर से दूर रहने के कारण शॉ बार-बार बोल्ड हो रहे थे।

भारतीय टीम से बाहर चल रहे मुंबई के ओपनर पृथ्वी शॉ जोरदार फॉर्म में हैं। विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने चार शतकों की मदद से 754 रन बनाए हैं। उनका औसत 188.50 का रहा है। उन्होंने ये रन 134.88 की स्ट्राइक रेट से बनाए हैं। शॉ ने बल्लेबाजी ये ऊंचाईयां कुछ ही महीने पहले अपने करियर में काफी निराशजनक स्थिति झेलने के बाद हासिल की है।

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहले टेस्ट मैच के बाद उन्हें प्लेइंग-11 से ड्रॉप कर दिया गया था। शॉ बताते हैं कि तब वे पूरी तरह टूट गए थे और रो पड़े थे। उन्हें लगने लगा था कि वे किसी काम के नहीं हैं। उन्होंने बल्लेबाजी में सुधार के लिए पूर्व दिग्गज सचिन तेंदुलकर से भी मुलाकात की।

दुख और खुशी एक साथ महसूस की
पृथ्वी शॉ ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड टेस्ट में 0 और 4 रन का स्कोर किया था। दूसरी पारी में भारतीय टीम 36 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गई। इसके बाद शॉ को प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। भारत ने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में मेलबर्न में खेला गया दूसरा टेस्ट मैच जीता। शॉ बताते हैं, ‘मैं प्लेइंग-11 से बाहर हुआ लेकिन टीम ने अच्छा परफॉर्म किया। मैं अपने लिए दुखी था लेकिन टीम के लिए खुश था।

जिंदगी का सबसे दुखभरा दिन
शॉ ने कहा, ‘जिस दिन मुझे दूसरे टेस्ट की प्लेइंग-11 से बाहर किए जाने की सूचना मिली वह मेरी जिंदगी का सबसे दुखभरा दिन था। मैं अपने कमरे में जाकर रोया। मुझे लग रहा था कि मेरे साथ कुछ गलत हो रहा है और मुझे सवालों के जवाब जल्द से जल्द चाहिए।’

बैकलिफ्ट में नहीं है कोई प्रॉब्लम

शॉ जब लगातार दो पारियों में फेल हुए तो कई विशेषज्ञों ने कहा कि उनकी बैक लिफ्ट काफी ऊंची है और इससे उन्हें दिक्कत हो रही है। हालांकि, शॉ इससे सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा-मैंने इसी बैकलिफ्ट से बहुत रन बनाए हैं। टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री और बैटिंग कोच विक्रम राठौड़ ने मुझे गलती पहचानने में गलत की। बॉल को खेलते वक्त बैट शरीर से दूर रह रहा था। मैंने नेट्स पर इसे ठीक करने के लिए काफी मेहनत की।

कड़ी मेहनत टैलेंट पर भारी पड़ती है
शॉ ने कहा, ‘एक कहावत है कि कड़ी मेहनत टैलेंट पर भारी पड़ती है। मैंने खुद से कहा कि बिना कड़ी मेहनत के टैलेंट भी काम नहीं आएगा। इसके बाद मैंने खुद से वादा किया कि मैं जमकर मेहनत करूंगा और खामियों को दूर करूंगा।

सचिन ने ज्यादा बदलाव न करने को कहा
शॉ ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया से वापस आने के बाद सचिन तेंदुलकर से भी मुलाकात की। सचिन ने उनसे कहा कि वे अपनी तकनीक में ज्यादा बदलाव न करें। प्रैक्टिस से सब कुछ ठीक हो जाएगा। शॉ ने कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के लिए सिलेक्शन न होने पर उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी पर फोकस किया। उनकी कोशिश थी कि इस टूर्नामेंट में कुछ बड़ी पारियां खेली जाएं। इसमें वे सफल भी हुए।

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