जज्बे से मिली सफलता: कड़ी मेहनत से दिव्यांग ने पास की बैंक पीओ की परीक्षा, शारीरिक कमजोरी और संसाधनों के अभाव के बावजूद हासिल की कामयाबी

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रतलाम5 मिनट पहले

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अपने मम्मी-पापा के साथ अयंक दुबे।

हौसले बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इन्ही प्रेरक शब्दों को सच कर दिखाया है रतलाम के अयंक दुबे ने जिसने अपनी आंखों से दुनिया तो नहीं देखी लेकिन उसकी सफलता को आज पूरी दुनिया देख रही है। रतलाम के थावरिया बाज़ार में रहने वाले 25 साल के अयंक दुबे का हाल ही में बैंक के प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर चयन हुआ है। इसके बाद उनकी और उनके परिवार की सालों की तपस्या पूर्ण हो गई है। अयंक एमए पास है और वे 2 साल से बैंकिंग परीक्षाओ की तैयारी कर रहे थे।

उन्होंने पहली बार में ही RRB के बैंक पीओ का एक्जाम पास कर लिया है | खास बात यह है कि अयंक के माता और पिता के यहां दोनों ही बच्चे जन्म से ही दृष्टि से दिव्यांग थे लेकिन दुबे दंपती ने हताश नहीं होते हुए अपने बच्चों को सही तालीम और अवसर उपलब्ध करवाएं। इसी का नतीजा है कि आज अयंक का चयन बैंक पीओ के पद पर हुआ है। अयंक का अगला लक्ष्य MPPSC की परीक्षा उत्तीर्ण करना है। इसके लिए अब प्रतिदिन 7 से 8 घंटे मेहनत कर रहे हैं।
दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग से व्यवस्था नहीं होने से साधारण बच्चों की कक्षा में पढ़ते थे अयंक

7-8 घंटे पढ़ने वाले अयंक का सिलेक्शन ग्रामीण बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर हुआ है। 30 जनवरी को इंदौर में ऑनलाइन एक्जाम, फिर मेन्स की परीक्षा और 19 फरवरी को उनका इंदौर में ही इंटरव्यू हुआ था जिसमे सिलेक्ट होकर उन्होंने अपनी कामयाबी की नई इबारत लिखी है। रतलाम शहर में दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने से अयंक ने यू–ट्यूब और दूसरे मोबाइल ऐप के माध्यम से पढ़ाई की है। वही साधारण बच्चों की कक्षाओं में पढ़कर मयंक ने यह मुकाम हासिल किया है। वे अपनी कामयाबी का मूलमंत्र अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बताते है।

अयंक की सफलता से उनके माता पिता भी बेहद खुश है। उनका कहना है की उन्हें उनकी 25 साल की तपस्या का फल मिल गया है। दूसरे दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को भी पंकज दुबे यह संदेश दे रहे हैं कि यह बच्चे ईश्वर का दिया हुआ आशीर्वाद है। इन्हें कभी भी कम करके नहीं आंके और उन्हें उनकी रूचि के क्षेत्र में आगे बढ़ाएं।

बहरहाल अयंक का अगला टारगेट MPPSC की परीक्षा है, जिसमे सिलेक्ट होने के लिए वे अभी से मेहनत में जुटे है। ये अयंक की मेहनत ही है जिसके दम पर आज उन्होंने ये मुकाम हासिल किया है।

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