विकास में बाधा: मुआवजे का अड़ंगा, बेगमबाग में खुद मकान तोड़ने वालों ने भी काम रोका

विकास में बाधा: मुआवजे का अड़ंगा, बेगमबाग में खुद मकान तोड़ने वालों ने भी काम रोका


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उज्जैन5 घंटे पहले

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  • आखिरी सर्वे भी पूरा, किराया लेने को रहवासी तैयार नहीं

मुआवजा तय नहीं होने के कारण बेगमबाग कच्ची कॉलोनी को हटाने की मुहिम में फिलहाल ब्रेक लग गया है। जो लोग स्वयं मकान हटा रहे थे, उन्होंने भी फिलहाल काम रोक दिया है। इस मामले में अब गेंद सरकार के पाले में नजर आ रही है। मुआवजे का फैसला होने के बाद ही इस बस्ती को हटाने का काम शुरू हो पाएगा।

महाकालेश्वर मंदिर विस्तार के क्रम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बसी इस बस्ती को हटाने की तैयारी की है। नगर निगम यहां तीन बार सर्वे कर चुका है। आखिरी सर्वे भी पूरा हो गया है। प्रशासन ने रहवासियों को कहा है कि उन्हें निगम की प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान दिए जाएंगे। इसके अलावा पट्टे वालों को 3 लाख रुपए मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया है।
तैयारी पूरी, ऊपर से आदेश का इंतजार
निगम के सर्वे के बाद मुआवजा तय होना है। निगम की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद मुआवजे की गणना होगी तथा इस राशि का बंदोबस्त किया जाएगा। संभवत: राज्य शासन से यह राशि मिलेगी। सरकार महाकाल क्षेत्र विकास योजना के लिए 500 करोड़ रुपए देने की घोषणा पूर्व में कर चुकी है। इसलिए प्रशासन आश्वस्त है। निगमायुक्त क्षितिज सिंघल का कहना है कि निगम की तैयारी पूरी है। उच्च स्तर पर निर्णय होना है।

80 % मकान पट्टे की जमीन पर, करीब 40 मकान यूडीए के हैं

  • सर्वे में पता लगाया है कि यहां सरकारी जमीन पर कितने मकान हैं, कितने मकान ऐसे हैं जो पट्टे की जमीन पर बने हैं तथा यूडीए से खरीदे गए मकान कितने हैं।
  • बस्ती हटाने में यूडीए के मकानों को शामिल नहीं किया है। प्रशासन के टारगेट में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण और पट्टे की जमीन पर बने मकानों को हटाना है।
  • निगम ने आखिरी सर्वे किया है। इसमें पता चला है कि 80 फीसदी मकान पट्टे की जमीन पर बने हैं। करीब 40 मकान यूडीए के हैं, जिन्हें हटाया नहीं जाएगा।
  • सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए मकानों को प्रशासन पहले चरण में हटा सकता है।

तुड़ाई रुकी, मुआवजे की राजनीति शुरू, जिलाधिकारी देख रहे माहौल
मुआवजा राशि अभी तय नहीं होने के कारण जिन लोगों ने स्वयं मकान हटाना शुरू किए थे, उन्होंने भी काम रोक दिया है। प्रशासन की ढील के चलते तुड़ाई भी रुक गई है। लोगों ने निगम की किराया स्कीम को भी नकार दिया है। निगम उन्हें प्रधानमंत्री आवास बनने तक 3 हजार रुपए महीना किराया देने को तैयार था, ताकि वे बेगमबाग बस्ती खाली कर अन्य जगह किराए का मकान लेकर रह सकें। मुआवजे को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है।

चर्चा है कि निगम चुनाव को देखते अनेक नेता सक्रिय हो गए हैं। इस कड़ी में निगम के एक ऐसे अधिकारी की भी भूमिका सामने आ रही है जो इस क्षेत्र में लंबे समय तक काम करता रहा है। कई आरोपों के बावजूद उक्त अधिकारी को इसीलिए नहीं हटाया जा रहा क्योंकि उसने यह अफवाह फैला रखी है कि वही बस्ती खाली करा सकता है। इसी अधिकारी के कारण बेगमबाग बस्ती में मुआवजे का पेंच आ गया है। अिधकारी फिलहाल माहाैल देख रहे है।

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