चैतन्य महाप्रभु अवतरण दिवस: इस्कॉन भोपाल में दो दिवसीय गोर पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन; 56 पकवानों का लगाया गया भोग

चैतन्य महाप्रभु अवतरण दिवस: इस्कॉन भोपाल में दो दिवसीय गोर पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन; 56 पकवानों का लगाया गया भोग


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भोपाल3 मिनट पहले

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मंदिर में बनाए गए 56 पकवानों का भोग लगाया गया

अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) भोपाल में चैतन्य महाप्रभु के अवतरण दिवस पर दो दिवसीय गोर पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन शनिवार और रविवार को किया गया। सरकार द्वारा जारी कोविड नियमों का पालन करते हुए आयोजित कार्यक्रम में भक्तों और मंदिर में बनाए हुए 56 पकवानों का भोग लगाया। इस मौके पर शास्त्रों के अनुसार वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए गौर-निताई का विभिन्न द्रव्यों से महाअभिषेक किया गया। अभिषेक के दौरान ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्द विग्रहः। अनादिरादि गोविन्दः सर्वकारण कारणम्॥ (श्री कृष्ण परम ईश्वर हैं तथा सच्चिदानन्द हैं। वे आदि पुरुष गोविन्द समस्त कारणों के कारण हैं।) जैसे कई प्रमाणिक श्लोकों का पाठ कर महाअभिषेक किया गया। अपने गोर वर्ण के कारण श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु को गोरांग और उनके साथ अवतरित बलरामजी को निताई कहा जाता है।

चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन १४८६ की फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप (नादिया) नामक गांव में हुआ था, जिसे अब मायापुर कहा जाता है। इस्कॉन चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का अनुगमन करता है और उनके द्वारा चलाए गए हरे कृष्ण संकीर्तन आंदोलन को चला रहा है। महोत्सव के तहत मंदिर को पुष्पों और रंगीन लाइटों से सजाया गया। कोविड नियमों के कारण सीमित संख्या में लोगों को मंदिर परिसर में प्रवेश दिया गया। इस मौके पर जोरदार हरे कृष्ण संकीर्तन किया गया, जिसमें उपस्थित भक्तों ने उत्साह से भाग लिया। गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अनुसार चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिवस के साथ नया साल भी शुरू होता है। भक्तों ने एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई दी।

कई प्रमाणिक श्लोकों का पाठ किया गया।

कई प्रमाणिक श्लोकों का पाठ किया गया।

गौर-निताई का विभिन्न द्रव्यों से महाअभिषेक किया गया।

गौर-निताई का विभिन्न द्रव्यों से महाअभिषेक किया गया।

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