उपलब्धि: 40 दिन में खोले 31 हजार 904 बेटियों के खाते, सुकन्या समृद्धि योजना में प्रदेश के शीर्ष स्थान पर कटनी

उपलब्धि: 40 दिन में खोले 31 हजार 904 बेटियों के खाते, सुकन्या समृद्धि योजना में प्रदेश के शीर्ष स्थान पर कटनी


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कटनी9 मिनट पहले

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सुकन्या योजना में खाता खुलवाने वाली बच्ची व उसकी मां।

सुकन्या समृद्वि योजना में 40 दिनों में 31 हजार 904 बेटियों का खाता खोलकर पूरे प्रदेश में कटनी शीर्ष स्थान पर पहुंच गया। खाते खोलने में खास बात ये भी है कि इनमें 1856 ऐसी बच्चियों के खाते हैं जिनके खाता खोलने के लिए 250 रुपए लोकसेवकों ने दिए हैं। दरअसल इन बच्चियों के अभिभावकों के पास खाता खोलने के लिए पैसे नहीं थे, जिसके बाद सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों ने स्वैच्छा से ढाई सौ रुपए जमा कर खाते खुलवाए हैं।

वित्तीय वर्ष 2020-2021 में सुकन्या योजना में कटनी जिले के प्रदेश में टॉप में पहुंचने पर जबलपुर संभाग के डाकघर के प्रवर अधीक्षक पीएन पांडेय ने कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को पत्र लिखा है और पूरी टीम को शुभकामनाएं दी हैं।

जिले में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देश पर 22 फरवरी से 31 मार्च 2021 तक महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों और मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। जिसके तहत जिले की पात्र बेटियों के नाम डाकघरों में भारतीय डाक विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के स्टाफ के समन्वय से सुकन्या समृद्धि खाता खोलने की शुरुआत की गई।

सुकन्या योजना के तहत डाकघर में खाता खुलवाने के बाद पासबुक दिखाती बच्चों की मां।

सुकन्या योजना के तहत डाकघर में खाता खुलवाने के बाद पासबुक दिखाती बच्चों की मां।

22 फरवरी से 31 मार्च 2021 तक चलाए गए अभियान के दौरान जिले में 31 हजार 904 पात्र बेटियों के नाम से सुकन्या समृद्धि योजना के खाते खुलवाए गए। कटनी जिले में खुले खातों की संख्या प्रदेश में नंबर एक पर है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी नयन सिंह ने बताया कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाते खोलने के लिए जिले में कार्ययोजना बनाकर कार्य किया गया। जिसके तहत 40 दिनों में ही 31 हजार 904 बालिकाओं के खाते खोले गए।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के उद्देश्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग का अमला इस काम में मुस्तैदी से जुटा। प्रत्येक बालिका का खाता 250 रुपए से खोला गया। इसमें खास बात यह भी रही कि 1856 ऐसी बालिकाओं जिनके अभिभावक के पास पैसे नहीं थे, उनकी राशि विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों ने स्वैच्छा ने अपनी ओर से जमा कराई।
रिपोर्ट: रवि पांडेय

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