विश्व पर्यावरण दिवस. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रभावशाली कदम उठाते हुए मिआम चॅरिटेबल ट्रस्ट ने एक विशेष अभियान की शुरुआत की है जिसका नाम है — “हर आंगन एक फल का पेड़”. यह अभियान महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले के वडलापेठ गांव (तहसील अहेरी) से आरंभ किया गया है. इस पहल का उद्देश्य केवल हरियाली बढ़ाना नहीं, बल्कि मानव, प्रकृति और वन्यजीवों के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित करना है.
इस अभियान के तहत हर घर, हर आंगन, स्कूल परिसर और सार्वजनिक स्थानों पर फलदार वृक्षों का रोपण किया जा रहा है. इन पेड़ों से जहां बच्चों और गर्भवती महिलाओं को प्राकृतिक पोषण मिलेगा, वहीं पक्षियों और वन्यजीवों को छाया और भोजन प्राप्त होगा. यह पहल पारंपरिक पौधारोपण अभियानों से कहीं अधिक व्यावहारिक और दीर्घकालिक सोच पर आधारित है.
4 से 5 साल पुराने वृक्ष, 7 से 8 वर्षों की देखभाल
ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह केवल एक प्रतीकात्मक पौधारोपण नहीं है. “हम 4 से 5 साल पुराने फलदार वृक्ष लगा रहे हैं ताकि जल्द परिणाम दिखे, और साथ ही अगले 7–8 वर्षों तक इन वृक्षों की देखभाल और संरक्षण की जिम्मेदारी भी ट्रस्ट द्वारा निभाई जाएगी.”
यह अभियान न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में, बल्कि मुंबई जैसे महानगरों में भी सक्रिय है, जहां यह कार्य बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के सहयोग से किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, गडचिरोली के जंगलों में भी यह पौधारोपण हो रहा है ताकि वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में ही भोजन मिल सके और वे इंसानी बस्तियों की ओर न आएं.
मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने की दिशा में प्रयास
मिआम ट्रस्ट का मानना है कि जंगलों में फलदार वृक्ष लगाने से जंगली जानवरों को भोजन जंगल में ही उपलब्ध होगा, जिससे मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष में कमी आएगी. यह पहल पर्यावरण संरक्षण, जलवायु संतुलन और जैव विविधता बढ़ाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है.
मिआम चॅरिटेबल ट्रस्ट ने सभी नागरिकों, स्कूलों, स्वयंसेवी संस्थाओं और स्थानीय प्रशासन से इस अभियान से जुड़ने और वृक्षारोपण को जन आंदोलन बनाने की अपील की है.
अभियान का संदेश स्पष्ट है —
“छोटे कदम बड़े बदलाव लाते हैं – एक पेड़ लगाएं, एक जीवन बचाएं.”
यह अभियान न केवल आज के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी, हरित और संतुलित भविष्य की नींव रख रहा है.