उज्जैन जिले में चल रहे “स्वस्थ यकृत मिशन” के तहत अब तक 40 हज़ार से अधिक पुरुषों और महिलाओं की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है. इस मिशन का उद्देश्य 30 से 65 वर्ष की आयु के नागरिकों की उम्र, वजन, ऊंचाई और कमर की माप लेकर लीवर संबंधी बीमारियों की शुरुआती पहचान करना है.
“पुरुषों की माप लेना मुश्किल होता है”—आशा कार्यकर्ता सीमा की व्यथा
आशा कार्यकर्ता सीमा बोलोनिया ने बताया, “महिलाओं के साथ काम करना आसान होता है, लेकिन पुरुषों की कमर की माप लेते समय हमें टेप उन्हें पकड़ाकर मापने को कहना पड़ता है. कई पुरुष सहयोग करते हैं लेकिन कुछ लोग फब्तियां कसते हैं, जो हमें शर्मिंदा कर देती हैं.”
मिशन में अब तक 18,000 पुरुषों और 22,000 महिलाओं की हुई जांच
स्वस्थ यकृत मिशन ने अब तक उज्जैन जिले में 18,000 पुरुषों और 22,000 महिलाओं की स्क्रीनिंग पूरी की है. इसमें सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं की ही है, जो आंगनवाड़ी केंद्रों और घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करती हैं.
इस विषय में जब नोडल चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदित्य रावल से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने शुरू में असहजता जताई थी. हमने सभी को निर्देश दिया है कि वे आवश्यकता अनुसार सुरक्षित दूरी बनाए रखें और टेप उन्हें दे दें. अब तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं आई है.
सम्मान और संवेदनशीलता के बीच संतुलन ज़रूरी
इस मिशन की सफलता बहुत हद तक आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत पर निर्भर है, लेकिन उनका सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही आवश्यक है. स्थानीय निवासी धर्मेंद्र अरोड़ा कहते हैं कि सरकारी मिशन ज़रूरी हैं, पर किसी महिला को असहज कर हम खुद ही उस प्रयास की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं.