रसायन-जैविक खेती को कहें अलविदा, मात्र 10 किलो गोबर से 1 एकड़ में करें जबरदस्त उत्पादन, खेतों में होगी बंपर फसल

रसायन-जैविक खेती को कहें अलविदा, मात्र 10 किलो गोबर से 1 एकड़ में करें जबरदस्त उत्पादन, खेतों में होगी बंपर फसल


जबलपुर. यदि आप अपने खेत में रासायनिक खेती या जैविक खेती कर रहे हैं, तब इन खेती को छोड़ दीजिए क्योंकि अब प्राकृतिक खेती से आपके खेत में बंपर पैदावार होगी, जिससे आपकी आय भी दोगुनी हो जाएगी. इस खेती से ना आपको डीएपी की जरूरत पड़ेगी ना किसी खाद की. दरअसल अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार भी प्रोत्साहन योजना बनाने जा रही है.

कृषि एक्सपर्ट और 8 साल से प्राकृतिक खेती कर रहें विनय सिंह ठाकुर ने लोकल 18 से बताया जैविक खेती से बेहतर प्राकृतिक खेती है क्योंकि जैविक खेती में आदान सामग्री जैसे गोबर सहित अन्य सामग्री की आवश्यकता होती है. जो बड़ी मात्रा में चाहिए होती है. लेकिन प्राकृतिक खेती में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने बताया यदि एक एकड़ में जैविक खेती करना हो तब हमें  3 टन गोबर की आवश्यकता होती है, जबकि प्राकृतिक खेती में 10 किलो गोबर से एक एकड़ खेती कर सकते हैं. जो किसानों के लिए फायदेमंद है.

लागत होती है कम, प्रॉफिट ज्यादा
कृषि एक्सपर्ट ने बताया प्राकृतिक खेती में आदान सामग्री घर में ही बनाई जा सकती है. इसके लिए न ही डीएपी की जरूरत पड़ती है ना ही किसी केमिकल की. प्राकृतिक खेती के लिए घर में ही सारी सामग्री पहले से ही उपलब्ध रहती है. जिसके चलते लागत काफी कम हो जाती है. इतना ही नहीं जैविक खेती करने से भूमि भी जहरीली हो जाती है. लेकिन प्राकृतिक खेती से ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता खेत पूरी तरह उपजाऊ होते हैं.

घर में तैयार किए जाते हैं तत्व 
उन्होंने बताया प्राकृतिक खेती करने के लिए कीटनाशक, माइक्रोकैंट, मिनरल्स और एंजाइम सभी को घर में तैयार किया जा सकता है. खेती की जमीन को लेकर उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती करने से जैविक कार्बन भी काफी कम होता है. जिसके चलते जमीन की आयु भी बढ़ती है. प्राकृतिक खेती पांच महाभूतों पर आधारित खेती है, यह पांच महाभूत को शॉर्ट फॉर्म में भगवान कहा जाता है, जहां भ से भूमि, ग से गगन, व से  वायु और अ से अग्नि और न से नीर इन्हीं पांच तत्वों से प्राकृतिक खेती होती है.

प्राकृतिक खेती से होती है अच्छी फसल 
दरअसल, प्राकृतिक खेती करने के लिए किसी भी प्रकार के रसायन की आवश्यकता नहीं होती है. यही मुख्य कारण है कि किसानों को रसायन पर आश्रित नहीं होना पड़ता. प्राकृतिक खेती करने के लिए किसान घर में ही जीवामृत और कीटरक्षक तैयार कर सकते हैं.

इस तरह तैयार होता है जीवामृत और बीजमृत
यदि आप भी घर में बीजामृत तैयार करना चाहते हैं. तब गोबर, पानी, गोमूत्र, जीवाणु युक्त मिट्टी, और चूना मिलाकर घोल तैयार कर सकते हैं. यही घोल का फसलों के बीज पर छिड़काव किया जाता है. जिसके चलते फसल अच्छी होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ता है. जबकि गोमूत्र, गोबर, गुड़, बेसन, पानी और मिट्टी मिलाकर जीवामृत तैयार किया जाता हैं.

कीड़े और इल्लियों के लिए ब्रह्मास्त्र और अग्निस्त्र
फसलों के तनों पर कीड़े से बचने और फलों पर पुलिया ना लगे इसे रोकने के लिए अग्निस्त्र का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी बनाने की विधि आसान है. इसे गोमूत्र, नीम के पत्ते, हल्दी, हरी मिर्च, लहसुन और तंबाकू को मिलाकर मिश्रण करके तैयार किया जाता है. पौधों को कीड़ों से बचाने के लिए प्राकृतिक खेती में ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया जाता हैं. ब्रह्मास्त्र को भी प्राकृतिक तरीके से ही बनाया जाता है. जिसमें गोमूत्र, बेलपत्र, नीम पत्ते, अरंडी पत्ते, सीताफल के पत्ते, शिकंजी के पत्ते, पीपल के पत्ते और धतूरे के पत्ते को लेकर तैयार किया जाता है.



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