महाकाल मंदिर में कावड़ यात्रियों को विशेष सुविधा: अग्रिम अनुमति पर गेट नंबर 4 से प्रवेश, सीधे सभामंडप में जलाभिषेक की व्यवस्था – Ujjain News

महाकाल मंदिर में कावड़ यात्रियों को विशेष सुविधा:  अग्रिम अनुमति पर गेट नंबर 4 से प्रवेश, सीधे सभामंडप में जलाभिषेक की व्यवस्था – Ujjain News



उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के दौरान आने वाले कावड़ यात्रियों के करीब 40 दल ने अग्रिम अनुमति के लिए मंदिर समिति को आवेदन दिया है। अग्रिम अनुमति लेने पर गेट क्रमांक-4 से यात्रियों को प्रवेश दिया जाता है। यह व्यवस्था

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श्रावण मास में देशभर से बड़ी संख्या में कावड़ यात्री भगवान महाकाल का जलाभिषेक करने उज्जैन आते हैं। मंदिर समिति के उप प्रशासक एसएन सोनी ने बताया कि कावड़ संघ के माध्यम से अग्रिम अनुमति लेने वाले कावड़ यात्रियों के लिए गेट क्रमांक-4 से प्रवेश की व्यवस्था मंदिर समिति करती है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष देश के विभिन्न राज्यों से करीब 118 कावड़ यात्रा संघ आते हैं। इनमें से अधिकांश दल अग्रिम अनुमति आवेदन देते हैं। मंदिर समिति के पास अभी तक करीब 40 आवेदन पहुंचे हैं।

आवेदन की ऑफलाइन व ऑनलाइन व्यवस्था

कावड़ यात्रा संघ को अग्रिम अनुमति आवेदन के लिए ऑफलाइन व ऑनलाइन व्यवस्था है। संघ उज्जैन आने व श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने की तारीख, समय, कावड़ियों की संख्या की जानकारी देते हैं। अनुमति के लिए मंदिर की बेवसाइट, ईमेल अथवा पोस्ट के माध्यम से भी आवेदन पहुंचाए जाते हैं।

कई राज्य से आते हैं कावड़ यात्री

श्रावण महीने में भगवान महाकाल के दर्शन करने व जलाभिषेक के लिए झारखंड, कोलकाता, हरियाणा, यूपी और मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से कावड़ यात्री पहुंचते हैं। कावड़ संघ में 100 से 5 हजार कावड़िए होते हैं। संघ के पदाधिकारी यात्रा पहुंचने की तारीख से पहले ही शहर में पहुंचकर यात्रियों के लिए रहने, भोजन व अन्य सुविधाएं जुटाते हैं।

मंदिर समिति देती है यह सुविधा

अग्रिम अनुमति लेने वाले कावड़ यात्री मंदिर के गेट क्रमांक चार से प्रवेश कर सभामंडप में पहुंचकर यहां लगे जल पात्र से जलाभिषेक कर बैरिकेट्स भगवान के दर्शन कर बाहर जाते हैं। अग्रिम अनुमति नहीं लेने वाले कावड़ यात्रियों के दल को सामान्य दर्शनार्थियों के साथ कतार में लगकर फैसिलिटी सेंटर, महाकाल टनल के रास्ते मंदिर परिसर से होते हुए कार्तिकेय मंडपम पहुंचकर यहां लगे जलपात्र से भगवान का जलाभिषेक कर मंदिर के बाहर प्रस्थान कराया जाता है।



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