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Nandi Puja Niyam: सावन माह में भगवान शिव की पूजा के साथ नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा भी निभाई जाती है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज बताते हैं कि यह परंपरा पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है.
हाइलाइट्स
- शिव तक कैसे पहुंचती है आपकी बात
- नंदी को भगवान शिव का सबसे प्रिय भक्त माना जाता है
- धीरे से मनोकामना कहनी चाहिए
कैसे पिर्य हुए शिव को नंदी
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे ग्रहण कर लिया. उस विष की कुछ बूंदे जमीन पर भी गिर गई, जिसे नंदी ने ग्रहण कर लिया. शिव जी ने जब नदी का अपने प्रति इतना जुड़ाव देखा तो नंदी को सबसे बड़े भक्त की उपाधि दे दी. तभी से नंदी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है.
– नंदी के कान में मनोकामना कहने का भी एक तरीका है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, मनोकामना बाएं कान में कहनी चाहिए. कहते हैं कि मनोकामना कहते समय अपने दोनों हाथों से अपने होठों को ढक लेना चाहिए ताकि कोई और उसे सुन न सके.
– कुछ लोग नंदी के कान में मनोकामना कहने से पहले ‘ओम’ शब्द का उच्चारण करते हैं. यह भी मान्यता है कि नंदी के कान में मनोकामना धीरे से फुसफुसाकर कहनी चाहिए ताकि किसी और को सुनाई न दे.
– नंदी के कान में मनोकामना कहने के बाद, कुछ लोग नंदी से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं. यह परंपरा आज भी लाखों भक्तों के दिलों में बसी हुई है. यह न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.