MP का रहस्यमयी मंदिर! तिल-तिल बढ़ता शिवलिंग, रात के अंधेरे में आते अश्वत्थामा

MP का रहस्यमयी मंदिर! तिल-तिल बढ़ता शिवलिंग, रात के अंधेरे में आते अश्वत्थामा


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Khandwa News: तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पंडित ओम प्रकाश योगी ने लोकल 18 को बताया कि अश्वत्थामा को महाभारत काल से अमर माना जाता है. वह रोज रात असीरगढ़ से चलकर इस मंदिर में पूजा करने आते हैं. यह बात कोई…और पढ़ें

खंडवा. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जो केवल आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि रहस्यों और चमत्कारों की जिंदा मिसाल भी है. यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसकी मान्यता आज भी लोगों को हैरान करती है. यहां शिवलिंग को स्वयंभू और लगातार बढ़ने वाला माना जाता है लेकिन सबसे रहस्यमयी बात यह है कि इस मंदिर में रात के अंधेरे में अश्वत्थामा के आने की कहानी आज भी लोगों के बीच जीवित है. खंडवा शहर के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर का इतिहास 400 से 500 वर्ष पुराना माना जाता है. मंदिर के पुजारी पंडित ओम प्रकाश योगी, जो इस मंदिर की सेवा 16वीं पीढ़ी से कर रहे हैं, लोकल 18 को बताते हैं कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और हर साल तिल संक्रांति के दिन इसमें एक तिल का आकार बढ़ता है. यही कारण है कि इसे ‘तिलभांडेश्वर’ कहा जाता है.

मंदिर की एक अनोखी मान्यता यह भी है कि जब गांव या शहर में पानी की भारी कमी होती है, तो भगवान को जल समाधि दी जाती है, यानी शिवलिंग को पानी में डुबो दिया जाता है. पुजारी बताते हैं कि 1980 के दशक में पानी की भयंकर किल्लत के दौरान यहां 42 टैंकर पानी से शिवलिंग को जलमग्न किया गया था. इसके कुछ ही घंटों बाद तेज वर्षा हुई और कई दिनों तक पानी की कोई कमी नहीं रही.

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असीरगढ़ से जुड़ा रहस्यमयी रास्ता
मंदिर के गर्भगृह के नीचे एक गुप्त सुरंग बताई जाती है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह सुरंग खंडवा के ऐतिहासिक असीरगढ़ किले तक जाती है. हालांकि अब यह रास्ता बंद हो चुका है लेकिन पुराने समय में कई लोगों ने इसकी मौजूदगी के प्रमाण देखे हैं. पंडित ओम प्रकाश योगी का कहना है कि अश्वत्थामा, जिन्हें महाभारत काल से अमर माना जाता है, रोज रात को असीरगढ़ से चलकर इस मंदिर में पूजा करने आते हैं. यह बात कोई कथा नहीं बल्कि मंदिर के पुजारियों की पारंपरिक स्मृति और अनुभवों पर आधारित है. बताया जाता है कि आधी रात के बाद मंदिर में ताजे फूल शिवलिंग पर चढ़े मिलते हैं जबकि उस समय मंदिर बंद रहता है और वहां कोई मानव उपस्थिति नहीं होती.

ईर्ष्या के साथ जल चढ़ाता है, तो…
इस मंदिर में एक और चमत्कारी बात है कि शिवलिंग की जलाधारी में गंगाजल अपने आप बना रहता है, जिसे कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में गायब होते भी देखा गया है. पुजारी बताते हैं कि यदि कोई अपवित्र मन से पूजा करता है या ईर्ष्या के साथ जल चढ़ाता है, तो गंगाजल अचानक सूख जाता है लेकिन जब वही व्यक्ति आकर माफी मांगता है और श्रद्धा से पूजा करता है, तो कुछ दिनों में जलधारा फिर से बहने लगती है.

जनमानस में गहरी आस्था
आज भी इस मंदिर में तिल संक्रांति, महाशिवरात्रि और सावन के महीने में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. शिवलिंग का बढ़ना, जलधारा का रहस्यमयी रूप से बने रहना और अश्वत्थामा की मध्यरात्रि उपस्थिति, ये सब मिलकर तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर को सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि एक रहस्यमय आध्यात्मिक केंद्र बनाते हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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