15 या 16 अगस्त, कब है कालाष्टमी? काल भैरव की पूजा से खत्म होगा भय और संकट

15 या 16 अगस्त, कब है कालाष्टमी? काल भैरव की पूजा से खत्म होगा भय और संकट


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Kalashtami in August: शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त की रात 11 बजकर 49 मिनट के लगभग होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 अगस्त की रात 9 बजकर 24 मिनट के करीब होगा. इस हिसाब से मासिक कालाष्टमी का…और पढ़ें

उज्जैन. हिंदू धर्म में हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भगवान शंकर के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि काल भैरव की पूजा से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं. तंत्र साधक इस दिन विशेष पूजा करते हैं. इस बार तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. आइए जानते हैं, उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से कि इस बार भाद्रपद माह में कालाष्टमी कब मनाई जाएगी. उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट के लगभग शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 अगस्त को रात 9 बजकर 24 मिनट के लगभग होगा. ऐसे में मासिक कालाष्टमी का व्रत 16 अगस्त को रखा जाएगा.

भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में कालभैरव का अति प्राचीन मंदिर क्षिप्रा नदी के किनारे भैरवगढ़ क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां भगवान काल भैरव की प्रतिमा को शराब का भोग लगाया जाता है और काल भैरव स्वयं शराब ग्रहण करते हैं. पुजारी द्वारा शराब का प्याला काल भैरव के मुख से लगाया जाता है. यह शराब पलभर में गायब हो जाती है. यह चमत्कार देखने लोग देश-विदेश से आते हैं.

कालाष्टमी व्रत का महत्व
इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय और संकट दूर होते हैं. मान्यता है कि भगवान भैरव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं. कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत शनि और राहु के बुरे प्रभावों को कम करने में भी सहायक माना जाता है. भक्तों के लिए मासिक कालाष्टमी भगवान काल भैरव का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.

कालाष्टमी पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप
1. ओम शिवगणाय विद्महे गौरीसुताय धीमहि तन्नो भैरव प्रचोदयात।।
2. ओम कालभैरवाय नम:
3. ओम भ्रां कालभैरवाय फट्
4. धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्। द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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