होम साइंस गर्ल्स कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते वक्ता।
श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास की ओर से मंगलवार को नर्मदापुरम के शासकीय होम साइंस कॉलेज के सेमिनार हॉल में “पुरुषार्थ” विषय पर शोध संगोष्ठी हुई। न्यास के प्रभारी अधिकारी अमित कुमार यादव ने बताया कि नर्मदापुरम में आयोजन का उद्देश्य जिले के माछा और पासी घाट
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संगोष्ठी में इंदौर के वरिष्ठ अभियंता व शोधार्थी श्रीनिवास कुटुम्बले ने “रामायणकालीन अभियांत्रिकी” और नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं शोधार्थी डॉ. आदित्य शुक्ल ने “जीवन प्रबंधन में श्रीरामचंद्र जी” विषय पर व्याख्यान दिया। इस दौरान प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन और डिप्टी कलेक्टर डॉ. बबीता राठौर मौजूद रहीं।
शोध संगोष्ठी को सुनने के लिए बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स मौजूद रहे।
राम व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बुराई के खिलाफ थे डॉ. शुक्ल ने चौपाई “रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” को वर्तमान परिदृश्य से जोड़ते हुए कहा कि लोग इसका गलत अर्थ निकालते हैं। श्रीराम ने कई बार संकल्प लेने के बाद भी क्षमा का मार्ग चुना। वे व्यक्ति से नहीं, उसके भीतर छिपी बुराई का विरोध करते थे।
डॉ. शुक्ल ने कहा कि श्रीराम का जीवन आदर्श चरित्र, कर्तव्यनिष्ठा, धैर्य और संगठन क्षमता का उत्तम उदाहरण है। उनकी नीति और कार्यप्रणाली में आधुनिक प्रबंधन के सभी सिद्धांत निहित हैं, जो आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
रामायण में इंजीनियरिंग के सूत्र श्रीनिवास कुटुम्बले ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में नगर नियोजन, भवन निर्माण, भूगर्भ शास्त्र, सेतु बंधन, वैमानिक इंजीनियरिंग जैसे विषयों का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि उस काल में प्रयुक्त कई तकनीक आज के जीपीएस और आधुनिक इंजीनियरिंग से मेल खाती हैं।
