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IIT इंदौर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो केवल पानी और वाष्पीकरण की प्रक्रिया से बिजली उत्पन्न करता है. इसमें सौर ऊर्जा, बैटरी या कोई जटिल मशीन की जरूरत नहीं है. यह उपकरण छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवा…और पढ़ें

इस उपकरण का मूल भाग है एक विशेष मेंब्रेन, जिसे ग्राफीन ऑक्साइड और जिंक-इमिडाज़ोल से बनाया गया है. जब यह मेंब्रेन पानी में आंशिक रूप से डुबाया जाता है, तो पानी छोटे-छोटे चैनलों से ऊपर की ओर बढ़ता है और वाष्पित होने लगता है. इस प्रक्रिया में सकारात्मक और नकारात्मक आयन अलग हो जाते हैं, जिससे स्थिर वोल्टेज पैदा होता है.
- एक छोटे मेंब्रेन (3×2 सेमी²) से 0.75 वोल्ट तक बिजली बनाई जा सकती है.
- कई मेंब्रेन जोड़कर पावर आउटपुट बढ़ाया जा सकता है.
इसके संभावित उपयोग :
- जंगलों और खेतों में पर्यावरणीय सेंसर को बिजली देना
- ब्लैकआउट के दौरान आपातकालीन लाइटिंग
- दूरस्थ क्लीनिकों में कम ऊर्जा वाले मेडिकल उपकरणों को चलाना
दिन-रात करेगा काम
सौर पैनलों के विपरीत, यह उपकरण रात में, घर के अंदर या बादलों में भी काम करता है. यह हल्का, पोर्टेबल और बिना फिल्टर किए पानी के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस शोध का नेतृत्व प्रो. धीरेंद्र के राय ने IIT इंदौर के Sustainable Energy and Environmental Materials (SEEM) Lab में किया. प्रो. राय के अनुसार, “यह उपकरण स्व-चार्जिंग पावर स्रोत की तरह काम करता है. जब तक पानी वाष्पित होता रहेगा, यह बिजली देता रहेगा. हमारा लक्ष्य इसे सस्ता और ग्रामीण/ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में उपयोगी बनाना है.”
प्रवीण सिंह साल 2015 से जर्नलिज्म कर रहे हैं. न्यूज18 हिंदी के करियर/एजुकेशन/जॉब्स सेक्शन में साल 2021 से काम कर रहे हैं. इन्हें फोटोग्राफी करने, किताबें पढ़ने, बाईक से लंबी यात्राएं करने का जुनून है. किताबों मे…और पढ़ें
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