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Health News: छतरपुर के ग्रामीणों में भेड़-बकरियों के लकवे का पारंपरिक इलाज आज भी चलता है, जिसमें गर्म लोहे की छड़ से सिर पर क्रॉस चिन्ह बनाया जाता है. यह तरीका दर्दरहित और प्रभावी माना जाता है.
छतरपुर जिले के रहने वाले देवी दीन पाल बताते हैं कि हम सालों से कि हम सालों से भेड़-बकरियां पाल रहे हैं. हमारे यहां पीढ़ियों से भेड़-बकरियों का पालने का काम होता है. हमारे यहां जब भी भेड़-बकरियां बीमार होती हैं तो हम घर पर ही उपचार कर लेते हैं. हमें न तो डॉक्टर को बुलाना होता है और न ही अस्पताल जाना होता है. कोई दवा की भी जरूरत नहीं होती है.
देवी दीन पाल बताते हैं कि हमारी भेड़-बकरियों को जब भी लकवा लग जाता है तो हम घर पर ही ठीक कर लेते हैं. लकवा लगने के दौरान पर भेड़-बकरियां बेहोश होकर गिर जाती हैं. ऐसी स्थिति में लोहे की रोड को लाल गर्म करके उनके सिर पर धीरे से क्रॉस चिन्ह बना देते हैं. गांव के तरीके में इसे दागना बोला जाता है.
पशुओं को नहीं होता दर्द
देवी दीन पाल बताते हैं की भेड़-बकरियों को लकवा लगने पर हम यही पीढ़ियों से उपाय करते आए हैं. इस उपाय से भेड़-बकरियों को कोई तकलीफ नहीं होती है. क्योंकि यह बहुत क्षणिक होता है. जिसमें भेड़ बकरियों को दर्द नहीं सहना पड़ता है.भेड़-बकरियों के सिर पर लोहे की गर्म रॉड को सिर्फ छूते हैं, बाल ही थोड़े झड़ते हैं लेकिन तकलीफ नहीं होती है.
बच्चे भी सीख लेते हैं
देवी दीन पाल बताते हैं की भेड़ बकरियों में लकवा लगने पर इसका इलाज बच्चे भी कर लेते हैं क्योंकि यह घर पर जब देखते हैं तो सीख जाते हैं. आने वाले समय पर वह भी लगवा को ठीक करने का तरीका समझ जाते हैं.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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