21 मासूमों की मौत पर सियासी संग्राम! BJP के मंत्री ने तमिलनाडु सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, कौन है जिम्मेदार?

21 मासूमों की मौत पर सियासी संग्राम! BJP के मंत्री ने तमिलनाडु सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, कौन है जिम्मेदार?


Coldrif Syrup Death Case Update: मध्य प्रदेश में खांसी की सिरप से बच्चों की मौतों का मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है. इस घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है. राज्य के लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने इस हादसे की पूरी जिम्मेदारी तमिलनाडु सरकार पर डाल दी है. दूसरी ओर, विपक्षी कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है. यह मामला तब सामने आया, जब इंदौर और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में कई बच्चों की मौत दूषित खांसी की सिरप पीने से हो गई. जांच में पता चला कि यह सिरप तमिलनाडु की एक फैक्टरी से आया था, जो खराब गुणवत्ता के कारण खतरनाक साबित हुआ.

यह घटना भारत में दवाओं की गुणवत्ता जांच प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती है. पहले भी 2022-23 में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में ऐसी ही घटनाएं हुई थीं, जहां नकली या खराब कफ सिरप से सैकड़ों बच्चों की जान चली गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों में दवाओं की खराब गुणवत्ता एक गंभीर समस्या है. वहां नियामक व्यवस्था की कमी के कारण हजारों बच्चे प्रभावित होते हैं. मध्य प्रदेश में इस बार कम से कम 21 बच्चों की मौत हो चुकी है, और कई बच्चे अस्पतालों में भर्ती हैं. राज्य सरकार ने तुरंत इस सिरप को बाजार से हटाने का आदेश दिया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया.

मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने बुधवार को मिडिया से बात करते हुए तमिलनाडु सरकार पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा, “यह पूरा हादसा तमिलनाडु की एक फैक्टरी की वजह से हुआ है. वहां की सरकार और उसका सिस्टम इसके लिए जिम्मेदार है. लेकिन मीडिया ने इस मुद्दे को उतना नहीं उठाया, जितना चाहिए था. मध्य प्रदेश के अधिकारी इस मामले में उतने दोषी नहीं हैं, जितना तमिलनाडु के.” पटेल ने यह भी कहा कि दवा बनाने और उसका लाइसेंस देने की जिम्मेदारी उस राज्य की होती है, जहां दवा बनती है. उन्होंने बताया कि अगर कोई दवा एक राज्य में बनकर दूसरे राज्य में बिकती है, तो उसकी गुणवत्ता की जांच उस राज्य की जिम्मेदारी है, जहां वह बनी है.

पटेल ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस मामले की व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं. अस्पताल में भर्ती बच्चों का इलाज मध्य प्रदेश सरकार करवा रही है. उन्होंने तमिलनाडु सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा, “हमने देखा है कि कहां-कहां गलतियां हुई हैं और कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं. हम तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर पूछेंगे कि उनकी फैक्टरी से खराब दवा कैसे बाहर भेजी गई.” उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. मध्य प्रदेश की पुलिस तमिलनाडु जा रही है ताकि फैक्टरी के मालिकों को पकड़ा जा सके. पटेल ने वादा किया कि मध्य प्रदेश सरकार सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी ताकि कोई बच न सके.

विपक्ष की ओर से इस्तीफे की मांग पर पटेल ने कहा, “अगर मेरे इस्तीफे से यह समस्या हल हो जाएगी, तो मैं दो मिनट में इस्तीफा दे दूंगा. हमारी सरकार का शीर्ष नेतृत्व जब चाहेगा, मैं तैयार हूं.” यह बयान तब आया, जब विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इस्तीफा मांगा.

दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने एएनआई से कहा, “यह हादसा मध्य प्रदेश सरकार की पूरी विफलता को दिखाता है. दवा निरीक्षकों और दवा नियंत्रकों का काम है कि वे हर महीने दवाओं के सैंपल लें और उनकी जांच करें. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह घटना उनकी लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से हुई. अगर कोई जहर बना रहा है, तो उसकी जांच की जिम्मेदारी आपकी थी. आप क्या कर रहे थे?”
यह विवाद दवा नियंत्रण प्रणाली की कमियों को उजागर करता है. भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत राज्यों को दवाओं के निर्माण और वितरण पर सख्त नजर रखनी होती है. लेकिन जब दवाएं एक राज्य से दूसरे राज्य में जाती हैं, तो समन्वय की कमी के कारण ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई है और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है.

यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि दवाओं की डिजिटल ट्रैकिंग और नियमित ऑडिट से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है. अभी के लिए, प्रभावित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इस बीच, राजनीतिक बयानबाजी तेज हो रही है, लेकिन असल मुद्दा बच्चों की जान बचाने और ऐसी घटनाओं को रोकने का है. मध्य प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो. दवा नियंत्रण प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि मासूम बच्चों की जिंदगियां बचाई जा सकें.





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