भृंगराज के फायदे: विंध्य क्षेत्र के गांव-खेतों में आपने कई बार एक घास जैसी जड़ी-बूटी देखी होगी, जिसे लोग अक्सर बेकार समझकर उखाड़ देते हैं. लेकिन यही घास भृंगराज, जिसे यहां घमिरा कहा जाता है, औषधीय गुणों का ऐसा भंडार है कि इसे जान लेने के बाद आप इसे दोबारा फेंकने की गलती नहीं करेंगे.
अब तक आपने भृंगराज का नाम ज़्यादातर बालों के लिए सुना होगा. सच भी है लंबे, घने और काले बालों के लिए इसे आयुर्वेद में वरदान माना गया है. लेकिन असली चौंकाने वाली बात यह है कि भृंगराज सिर्फ बालों तक सीमित नहीं है. यह त्वचा, पेट, मोटापा, तनाव, बवासीर, गठिया और सांस से जुड़ी परेशानियों तक में असरदार माना जाता है.
रीवा आयुर्वेद हॉस्पिटल में पदस्थ डॉक्टर अरविंद त्रिपाठी बताते हैं कि भृंगराज विंध्य क्षेत्र में खेतों, तालाबों के किनारे और मेड़ों पर आसानी से मिल जाती है. इसकी खासियत यह है कि इसका हर हिस्सा पत्ता, फूल, तना और जड़ औषधीय होता है. यही वजह है कि प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में इसका बार-बार उल्लेख मिलता है और आज आधुनिक चिकित्सा भी इसके गुणों पर शोध कर रही है.
भृंगराज में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं. यही कारण है कि यह शरीर को अंदर से मजबूत करता है.
बालों के लिए भृंगराज किसी रामबाण से कम नहीं. रूसी, झड़ते बाल, समय से पहले सफेदी और गंजेपन की समस्या में इसका तेल बेहद फायदेमंद माना जाता है. नारियल तेल में भृंगराज के पत्ते पकाकर जड़ों में लगाने से बालों को पोषण मिलता है.
त्वचा के लिए, भृंगराज चेहरे की चमक लौटाने में मदद करता है. इसके पाउडर से बना फेस पैक दाग-धब्बे और सूजन कम करने में सहायक होता है.
पेट और पाचन की बात करें तो भृंगराज गैस, अपच और एलर्जी जैसी समस्याओं में राहत देता है. इसकी चाय पाचन अग्नि को मजबूत करती है.
इतना ही नहीं, यह तनाव और चिंता कम करने में भी मदद करता है, क्योंकि यह शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन को संतुलित करता है. बवासीर, गठिया और सांस की दिक्कतों में भी इसके काढ़े और लेप का इस्तेमाल किया जाता है. कुल मिलाकर, विंध्य के खेतों में उगने वाली यह साधारण-सी दिखने वाली घास असल में एक चलती-फिरती आयुर्वेदिक दवा है बस ज़रूरत है इसे पहचानने की.