ग्वालियर में पुतला दहन पर तनाव-हंगामा, FIR: प्रदर्शनकारी वकील बोला- अंबेड़कर का नहीं चन्द्रशेखर आजाद का था पुतला – Gwalior News

ग्वालियर में पुतला दहन पर तनाव-हंगामा, FIR:  प्रदर्शनकारी वकील बोला- अंबेड़कर का नहीं चन्द्रशेखर आजाद का था पुतला – Gwalior News


पुतला दहन का प्रयास करने पर वकील आशुतोष को पकड़कर पुलिस ले जाते हुए। आज मामला दर्ज भी किया है।

ग्वालियर में शुक्रवार शाम पुतला दहन के प्रयास के बाद उपजा तनाव अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। पुलिस ने पुतला दहन की कोशिश करने वालों के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज किया है। घटना के बाद भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी और अन्य ओबीसी संगठनों ने एसपी क

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इस पूरे मामले पर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि संविधान निर्माता के पुतले को जलाने का प्रयास लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को खुली चुनौती है। उन्होंने प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी और चेतावनी दी थी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो 1 जनवरी को ग्वालियर में जन आंदोलन किया जाएगा।

वहीं पुतला दहन का प्रयास करने वाले एडवोकेट आशुतोष दुबे ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जिस पुतले को जलाया गया उस पर किसी का नाम नहीं लिखा था। उनका दावा है कि वह पुतला चंद्रशेखर आज़ाद का था, लेकिन उसे बाबा साहब अंबेडकर का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है।

भीम आर्मी चीफ ने भी अंबेडकर पुतला दहन का आरोप लगाते हुए पोस्ट किया।

शुक्रवार शाम शहर के आकाशवाणी तिराहा पर पुतला दहन की सूचना मिलते ही पुलिस अलर्ट हो गई। खुफिया जानकारी में पुलिस को यह भी पता चला था कि पुतला दहन की कोशिश से माहौल तनावपूर्ण हो सकता है, क्योंकि एक पक्ष को आशंका थी कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का पुतला जलाया जा सकता है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची। वहां एक अधिवक्ता अपने कुछ साथियों के साथ मौजूद मिले। अधिवक्ता आशुतोष दुबे के हाथ में एक पुतला था। पुलिस ने उन्हें पुतला दहन न करने की समझाइश दी, लेकिन इसी दौरान आशुतोष पुतला लेकर दौड़ने लगे और मौके पर “मनु स्मृति जिंदाबाद” के नारे गूंजने लगे।

स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आशुतोष को हिरासत में लिया और उनके हाथ से पुतला छीन लिया। इस दौरान कुछ देर तक बहस भी हुई, लेकिन पुलिस ने किसी भी तरह का पुतला दहन नहीं होने दिया। इसके बाद अधिवक्ता को पुलिस वाहन में बैठाकर विश्वविद्यालय थाना ले जाया गया।

अंबेडकर के पुतला दहन के प्रयास का आरोप

पुतला दहन की सूचना मिलते ही भीम आर्मी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी आकाशवाणी तिराहा पहुंच गए। मौके पर दोनों पक्षों के आमने-सामने आने से हालात टकराव की ओर बढ़ते दिखे, जिसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

‘जय भीम’ के नारे लगाते हुए भीम आर्मी के लोगों ने आरोप लगाया कि अधिवक्ता आशुतोष दुबे संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का पुतला दहन करना चाहता था, जो बेहद शर्मनाक और आपत्तिजनक है। उन्होंने मांग की कि मामले में एनएसए के तहत कार्रवाई की जाए और तत्काल एफआईआर दर्ज हो।

इसके बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ता एसपी कार्यालय पहुंचे और घेराव किया। उनकी एक ही मांग थी कि अधिवक्ता आशुतोष दुबे के खिलाफ तुरंत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।

एसपी ऑफिस पर प्रदर्शन करते भीम आर्मी व कई संगठन

एसपी ऑफिस पर प्रदर्शन करते भीम आर्मी व कई संगठन

भीम आर्मी चीफ ने “X’ पर लिखा- यह लोकतंत्र को चुनौती इस घटना के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म “X’ पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने पोस्ट कर लिखा- संविधान निर्माता के पुतला दहन का प्रयास लोकतंत्र व सामाजिक न्याय को खुली चुनौती है। चंद्रशेखर ने ग्वालियर पुलिस व प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया कि यदि आरोपी पर मामला दर्ज नहीं किया गया तो 1 जनवरी को ग्वालियर में जन आंदोलन होगा।

आजाद समाज पार्टी के संस्थापक सदस्य ने भी मामले में पोस्ट की।

आजाद समाज पार्टी के संस्थापक सदस्य ने भी मामले में पोस्ट की।

एडवोकेट दावा- ‘पुतला चंद्रशेखर का था, फिर FIR क्यों

पुतला दहन के प्रयास मामले में दैनिक भास्कर ने अधिवक्ता आशुतोष दुबे से बातचीत की तो उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर कहा- जिस पुतले को वह लेकर गए थे, उस पर किसी का नाम नहीं लिखा था।

उन्होंने दावा किया कि खनियादाना में हाल ही में मंच से मनुस्मृति जलाए जाने की घटना पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। उसी के विरोध स्वरूप उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के पुतले के दहन का कार्यक्रम रखा था।

आशुतोष दुबे का कहना है कि उन्होंने इसकी जानकारी पहले ही पुलिस को दे दी थी, इसके बावजूद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।

शांति भंग करने पर केस दर्ज

मामले में एसएसपी ग्वालियर धर्मवीर सिंह ने कहा कि पुतला चंद्रशेखर का दहन करने का प्लान था। पुलिस मामले की गंभीरता को समझती है, इसलिए पुतला दहन होने से रोका गया। शांति भंग करने पर उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।



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